कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के डॉ. बीआर अंबेडकर अध्ययन केंद्र ने गुरुवार को ‘संविधान सभा में डॉ. बीआर अंबेडकर: उनकी भूमिका और उनका प्रभाव’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया।
सेमिनार के उद्घाटन सत्र के दौरान कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा, “डॉ. भीमराव अंबेडकर आज भी पीढ़ियों को प्रेरित करते हैं। भारतीय संविधान के निर्माता होने के अलावा, डॉ. अंबेडकर सामाजिक सद्भाव के अमर प्रणेता भी थे।”
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि सामाजिक चिंतक मुकुल कानिटकर थे। कानिटकर ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर की महानता और योगदान को समझने के लिए उनके मूल पत्रों को पढ़ना जरूरी है। धनंजय कीर द्वारा अंबेडकर के जीवन पर लिखी गई पुस्तक उनके मूल पत्रों, भाषणों और प्रामाणिक स्रोतों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने संविधान के माध्यम से स्वतंत्रता, समानता, सम्मान, बंधुत्व और सामाजिक समरसता लाने का उल्लेखनीय कार्य किया।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला के विधि संकाय के प्रोफेसर संजय सिंधु, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली के आर्थिक अध्ययन एवं योजना केन्द्र के अध्यक्ष प्रोफेसर शक्ति सिंह तथा डॉ. अंबेडकर अध्ययन केन्द्र के निदेशक एवं संगोष्ठी समन्वयक डॉ. प्रीतम सिंह ने भी सभा को संबोधित किया।