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एसएफआई ने ‘छात्र विरोधी नीतियों’ को लेकर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की आलोचना की

SFI criticizes Himachal Pradesh University over 'anti-student policies'

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई के छात्र संघ भारतीय (एसएफआई) ने विश्वविद्यालय की संसाधन जुटाने वाली समिति के हालिया फैसलों की आलोचना की है और उन्हें छात्रों के लिए शोषणकारी और हानिकारक बताया है। एसएफआई के अध्यक्ष अंकुश राणा ने कहा कि प्रशासन अपने वित्तीय संकट को हल करने के बहाने छात्रों को आर्थिक रूप से निशाना बना रहा है।

डीन ऑफ स्टूडेंट्स को ज्ञापन सौंपकर इन फैसलों को वापस लेने की मांग की गई। विवादित उपायों में अगले शैक्षणिक सत्र से प्रस्तावित 10% फीस वृद्धि भी शामिल है। राणा ने इसे “छात्रों के वित्त पर सीधा हमला” बताया।

इसके अलावा, विश्वविद्यालय परिवहन सेवाओं को आउटसोर्स करने की योजना बना रहा है, जिसके तहत हिमाचल सड़क परिवहन निगम (एचआरटीसी) की दरों के 50% पर बस किराया निर्धारित किया जाएगा। राणा ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि इससे छात्रों की परिवहन लागत में काफी वृद्धि होगी।

उन्होंने 2019 से नियमित स्टाफ की भर्ती न होने पर भी प्रकाश डाला, जबकि प्रशासन ने बिना नियुक्तियां किए गैर-शिक्षण पदों के लिए दो बार आवेदन शुल्क जमा कर लिया। अब आउटसोर्सिंग स्टाफ पर विश्वविद्यालय की निर्भरता बढ़ रही है, जिसका एसएफआई कड़ा विरोध करता है।

इसके अलावा, समिति ने कक्षाओं में भाग लेने के लिए प्रवेश शुल्क लगाने का फैसला किया है, जिससे छात्रों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। राणा ने कहा, “ये छात्र-विरोधी नीतियां शिक्षा को कई लोगों की पहुंच से दूर कर रही हैं।”

एसएफआई ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर ऐसी नीतियां जारी रहीं तो बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होंगे। छात्र संगठन इन उपायों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़ा हुआ है और विश्वविद्यालय से सस्ती शिक्षा और निष्पक्ष प्रथाओं को प्राथमिकता देने का आग्रह करता है

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