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शरद पवार चुनाव अभियान रोककर पुणे के सूखा प्रभावित किसानों से मिले

Sharad Pawar stops election campaign and meets drought affected farmers of Pune

पुणे, 8 अप्रैल । लोकसभा चुनाव प्रचार और शोर-शराबे के चरम पर हाेने के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-एसपी अध्यक्ष शरद पवार ने सोमवार को चुनाव प्रचार से समय निकालकर पश्चिमी महाराष्ट्र के पुणे जिले के सूखा प्रभावित इलाकों का दौरा किया और वहां किसानों से बातचीत की।

पवार सुबह होने के तुरंत बाद बारामती के कुछ प्रभावित क्षेत्रों के दौरे पर गए और गर्मियों की चुनौतियों का सामना कर रहे किसानों की पीड़ा समझने के लिए उनके साथ समय बिताया।

उनके सहयोगियों ने कहा कि 83 वर्षीय पवार ने उनदावाडी (केपी), सुपे, रिसेपिसे और राजौरी जैसे कुछ सबसे अधिक सूखा प्रभावित गांवों का दौरा किया और जिले के विभिन्न हिस्सों में झेंडेवाडी में एक मवेशी शिविर का भी दौरा किया।

पवार किसानों और उनके परिवारों के साथ-साथ खेत मजदूरों से मिले, उन्‍हें उनकी गंभीर स्थिति की झलक मिली, जिसका वे इस समय गर्मियों के बीच सामना कर रहे हैं, जबकि मानसून कम से कम 50-60 दिन दूर है।

पवार के एक सहयोगी ने कहा, “किसानों ने बताया कि वे पीने व सिंचाई के लिए पानी की कमी, अपने मवेशियों के लिए अपर्याप्त पानी और चारे की कमी का सामना कर रहे हैं…पवार साहब ने उन्हें धैर्यपूर्वक सुना और उनकी परेशानी को समझा।”

अनुभवी पवार ने बिना टोपी या धूप का चश्मा लगाए कुछ स्थानीय खेतों का विहंगम दृश्य और सूखी, दरकती धरती को देखा, जिसमें घास का एक तिनका भी दिखाई नहीं दे रहा था, क्योंकि तेज धूप ने इस क्षेत्र को 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान में झुलसा दिया था। कभी-कभी गर्म हवा के छिटपुट झोंके से धूल का बादल उड़ जाता था।

बाद में एनसीपी-एसपी सुप्रीमो ने परिदृश्य पर किसानों के समूहों को संबोधित किया और जिला प्रशासन के सामने इस मुद्दे को उठाने का वादा किया।

अपने संबोधन में उन्होंने 1965 के अपने शुरुआती दिनों को याद किया, जब उन्होंने जमीनी स्तर की राजनीति में अपना पहला कदम रखा था और उस क्षेत्र में सूखे की समस्या देखी थी, जहां मुश्किल से 6-7 इंच वार्षिक वर्षा होती थी, लेकिन सारा पानी बह जाता था।

बाद में उन्होंने बारिश का पानी तालाबों और टैंकों में जमा करने के उपाय करने के लिए स्थानीय लोगों को संगठित और प्रेरित किया, जिससे ग्रामीणों, किसानों, कृषि और पशुधन को मदद मिल सके। लोगों की कड़ी मेहनत से 300 से अधिक छोटी और बड़ी झीलें बन गईं।

पवार ने तत्‍कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय कृषि मंत्री के रूप में अपने 10 साल के कार्यकाल को भी याद किया, जब उन्होंने पूरे भारत में व्यावहारिक रूप से खाली अन्न भंडार के साथ शुरुआत की थी, जिसमें बमुश्किल छह सप्ताह का खाद्य भंडार उपलब्ध था और नियमित रूप से आयात होता था। हालांकि, अपने दो कार्यकाल के अंत तक कृषि मंत्रालय संभालने के लिए परिश्रमपूर्वक काम करने को याद करते हुए पवार ने गर्व से कहा कि 2014 तक भारत न केवल खाद्य पदार्थों में आत्मनिर्भर हो गया, बल्कि 18 देशों में खाद्यान्न निर्यात किया जाने लगा।

उन्होंने मवेशियों के लिए अपर्याप्त चारे की आपूर्ति का मामला जिला अधिकारियों के समक्ष उठाने और टैंकरों के जरिए पानी की आपूर्ति की व्यवस्था करने का भी आश्‍वासन दिया।

55 वर्षों से अधिक समय तक बारामती की राजनीति से जुड़े रहे पवार ने किसानों के बीच अपनी अप्रत्याशित यात्राओं और किसानों की दुर्दशा पर उनसे अनौपचारिक बातचीत के साथ खुद को किसानों का प्रिय बना लिया है।

इस बार के चुनाव में उनकी बेटी और बारामती लोकसभा सीट से उम्मीदवार सुप्रिया सुले का मुकाबला इस सीट पर अपनी ‘भाभी’ सुनेत्रा ए.पवार से है, जो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख और उपमुख्यमंत्री अजीत ए.पवार की पत्‍नी हैं।

राज्य के एक एनसीपी-एसपी नेता ने कहा, “पवार साहब की आधे दिन की यात्रा न केवल बारामती के किसानों के लिए, बल्कि राज्यभर के कृषक समुदाय के लिए बहुत कुछ हासिल करने में मदद करेगी।”

गौरतलब है कि कई हफ्तों से जल संकट से जूझ रहे शिवाजीनगर के खैरेवाड़ी इलाके में लगभग 10,000 ग्रामीणों ने “पानी नहीं, तो वोट नहीं” के बैनर के साथ सार्वजनिक रूप से विरोध प्रदर्शन किया था और लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने की धमकी दी थी।

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