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पद्मश्री से सम्मानित होंगे ‘शीन काफ़ निज़ाम’, कहा, ‘उर्दू सभी की जुबान, किसी खास मजहब की नहीं’

'Sheen Kaaf Nizam' to be honored with Padma Shri, said, 'Urdu is the language of all, not of any particular religion'

जोधपुर, 27 जनवरी । उर्दू के मशहूर साहित्यकार शायर शीन काफ़ निज़ाम (शिव किशन बिस्सा) का नाम पद्मश्री पुरस्कार के लिए घोषित किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसकी घोषणा की। उन्हें यह पुरस्कार साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में प्रदान किया जाएगा।

पद्मश्री की घोषणा के बाद से शीन काफ़ निज़ाम के घर पर बधाई देने वाले लोगों का तांता लगा हुआ है।

मीडिया से बातचीत के दौरान शीन काफ़ निज़ाम ने कहा, “मैं समझता हूं कि इंसान को मेहनत करनी चाहिए। पुरस्कार तो मिल ही जाता है। काम की कद्र पहले भी होती थी और आज भी हो रही है। आप जिस भी पेशे में हैं, पूरी शिद्दत के साथ मेहनत करें।”

उर्दू के बारे में उन्होंने कहा, “संस्कृत की तरह ही उर्दू भी हमारी जुबान है। फारसी और अरबी भी है। जुबान मजहब की नहीं होती है। जुबान सभी की होती है। जुबान तहज़ीब की होती है। मेरी पढ़ाई संस्कृत में भी हुई है। अरबी भाषा मैं नहीं जानता हूं, लेकिन उर्दू और फारसी पढ़ने की कोशिश की।”

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उर्दू को हम लोगों ने एक समुदाय से जोड़कर रखा है। इसके लिए हमारी सरकार भी जिम्मेदार है और कहीं न कहीं इसके लिए हम भी जिम्मेदार हैं। आज यह सोच बन गई है कि गैर मुस्लिम का उर्दू से क्या लेना-देना है। लेकिन, मैं कहना चाहता हूं कि उर्दू सभी की जुबान है, किसी खास मजहब की जुबान नहीं है। संस्कृत भी सिर्फ पंडितों की जुबान नहीं है। कई मुस्लिम लोग हैं जो अच्छा संस्कृत बोलते हैं।

पद्मश्री पुरस्कार की घोषणा पर उन्होंने कहा कि लोगों की दुआओं का असर है कि मुझे इस पुरस्कार के लिए चुना गया।

उर्दू के इस मशहूर साहित्यकार का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। लेकिन, उनकी रूचि बचपन से ही उर्दू में रही। उनकी कई शायरी की पुस्तकें भी प्रकाशित हुई हैं। पूर्व में उन्हें कई पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है।

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