November 5, 2025
Himachal

शिमला के महापौर, उप महापौर के कार्यकाल विस्तार अध्यादेश को चुनौती

Shimla Mayor, Deputy Mayor’s tenure extension ordinance challenged

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने शिमला नगर निगम के महापौर और उप महापौर का कार्यकाल ढाई साल से बढ़ाकर पाँच साल करने के अपने फैसले को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। न्यायालय ने राज्य सरकार को 11 नवंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

अधिवक्ता अंजलि सोनी वर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका में राज्य सरकार द्वारा अवधि बढ़ाने के लिए जारी अध्यादेश की वैधता पर सवाल उठाया गया है। याचिका में तर्क दिया गया है कि यह कदम मनमाना, असंवैधानिक और राजनीति से प्रेरित है, जिसका उद्देश्य एक व्यक्ति विशेष को लाभ पहुँचाना है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायमूर्ति जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की और राज्य सरकार, शहरी विकास विभाग, राज्य चुनाव आयोग और शिमला के मेयर सुरिंदर चौहान को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि सरकार ने अपनी कार्यकारी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए एक व्यक्ति को अनुचित लाभ पहुँचाने के लिए यह अध्यादेश लाया है। दलील दी गई है कि अध्यादेश केवल आपातकालीन परिस्थितियों में ही जारी किया जा सकता है, जो इस मामले में मौजूद नहीं थे।

याचिका के अनुसार, निवर्तमान महापौर का कार्यकाल समाप्त होने के बाद, आरक्षण रोस्टर के अनुसार एक महिला पार्षद पद ग्रहण करने की हकदार थी। याचिकाकर्ता का दावा है कि सरकार के इस कदम से महिलाओं के संवैधानिक और कानूनी अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, इसलिए अध्यादेश को रद्द किया जाना चाहिए।
राज्य सरकार ने प्रशासनिक निरंतरता और नगर निगम प्रशासन में अस्थिरता को रोकने की आवश्यकता का हवाला देते हुए 25 अक्टूबर को अध्यादेश को मंजूरी दी थी। हालाँकि, इस फैसले से सत्तारूढ़ दल के भीतर राजनीतिक उथल-पुथल मच गई है।

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