February 2, 2025
Himachal

शिमला समर फेस्ट: सुक्खू का विजन: शिमला जाएं, शिमला से प्यार करें और घर ले जाएं अच्छी यादें

Shimla Summer Fest: Vision of Sukhu: Visit Shimla, Love Shimla and Take Home Good Memories

शिमला, 20 जून मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने कल शाम रिज मैदान पर अंतर्राष्ट्रीय शिमला ग्रीष्मोत्सव के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि यह महोत्सव राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है तथा क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू मंगलवार शाम को अंतर्राष्ट्रीय शिमला ग्रीष्मोत्सव के अंतिम दिन कलाकारों से मिलते हुए। ट्रिब्यून फोटो
अपने संबोधन के दौरान, मुख्यमंत्री ने इस उत्सव के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित किया और वर्षों से मनाए जा रहे उत्सवों पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उत्सव हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है, जिससे आगंतुकों और स्थानीय लोगों में गहरी प्रशंसा पैदा हुई है।

उन्होंने कहा कि मेले और त्यौहार हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रतिबिंब हैं, जिन्हें राज्य सरकार राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक कार्यक्रम आयोजित करके संरक्षित करने का प्रयास करती है।

उन्होंने शिमला को सर्वाधिक पसंदीदा पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई तथा यह सुनिश्चित किया कि पर्यटक राजधानी शहर के मनोरम दृश्यों की यादगार यादें लेकर जाएं।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने महोत्सव के सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व पर आधारित एक स्मारिका का विमोचन किया।

समापन संध्या का मुख्य आकर्षण गायक दलेर मेहंदी का मनमोहक प्रदर्शन था, जिसकी उपस्थिति ने उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया और उत्सव की भावना को और बढ़ा दिया। बाल आश्रम, टूटी कंडी और बाल आश्रम, मशोबरा के बच्चों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया, जिससे उत्सव की सांस्कृतिक विविधता और समावेशिता में योगदान मिला।

उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र (एनजेडसीसी), पटियाला के कलाकारों ने स्वांग, कच्ची घोड़ी, वायस्कोप प्रदर्शन और कठपुतली कला जैसे आकर्षक प्रदर्शनों से दर्शकों का मनोरंजन किया, जिससे महोत्सव का आकर्षण और बढ़ गया।

सरकारी स्कूल कैथू, चैप्सली स्कूल शिमला और एनजेडसीसी पटियाला के कलाकारों ने उत्तराखंड के जोन्सारी नृत्य, पंजाब के भांगड़ा और उत्तर प्रदेश के बरसाना की होली और मयूर नृत्य जैसे पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किए, जिससे समापन समारोह में जीवंतता आई और क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन हुआ।

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