हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला के कुलपति महावीर सिंह ने हाल ही में विश्वविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आईक्यूएसी) की पहली त्रैमासिक बैठक की अध्यक्षता की और परीक्षा प्रभाग को एक तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया, जिसके तहत एक महीने के भीतर परिणाम घोषित किया जा सके।
उन्होंने डीन (अध्ययन) से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि सभी शैक्षणिक कार्यक्रमों में पाठ्यक्रम के अभिन्न अंग के रूप में क्षेत्रीय परियोजनाएं, शोध परियोजनाएं या इंटर्नशिप शामिल हों; तथा कार्यक्रम की आवश्यकता और प्रकृति के अनुसार नए पाठ्यक्रम जोड़े जाएं; तथा समय-समय पर पाठ्यक्रम में संशोधन किया जाए।
कुलपति ने कहा कि सभी विभागों को विभिन्न वित्त पोषण एजेंसियों जैसे एएनआरएफ, डीएसटी, आईसीएसएसआर, यूजीसी-एसएपी और डीएसटी-एफआईएसटी को नियमित रूप से प्रस्ताव प्रस्तुत करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय पीएचडी पर्यवेक्षण के लिए कॉलेज के शिक्षकों को भी शामिल करेगा क्योंकि इससे अधिक शोधार्थियों को शामिल करने और NAAC द्वारा अच्छे ग्रेड प्राप्त करने में मदद मिलेगी। उन्होंने सभी संकाय सदस्यों को डिजिटल शिक्षण प्रक्रिया को मज़बूत करने के लिए ई-सामग्री विकसित करने का निर्देश दिया।
सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय ने अपने अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए हाल ही में भारत और विदेश में विभिन्न संस्थानों और उद्योगों के साथ विभिन्न समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं।
उन्होंने कहा कि इन समझौता ज्ञापनों के तहत छात्र आदान-प्रदान, संकाय आदान-प्रदान और संयुक्त अनुसंधान प्रस्ताव जैसी गतिविधियों की संभावना तलाशी जाएगी। उन्होंने प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट अधिकारी को प्लेसमेंट के लिए और अधिक अवसर तलाशने के निर्देश दिए।
विभागों को उच्च शिक्षा के लिए आगे बढ़ रहे छात्रों का रिकॉर्ड रखने का निर्देश दिया गया। यह भी निर्णय लिया गया कि विश्वविद्यालय NAAC के निर्देशों के अनुसार विभिन्न ऑडिट करवाएगा – शैक्षणिक प्रशासनिक ऑडिट, हरित ऑडिट, ऊर्जा ऑडिट।
कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रतिष्ठित समाजों और एजेंसियों द्वारा आयोजित सम्मेलनों में भाग लेने के लिए संकाय सदस्यों को सहयोग प्रदान करेगा।