January 6, 2025
Uttar Pradesh

महाकुंभ में शान से निकली श्री पंचायत महानिर्वाणी अखाड़ा की पेशवाई

Shree Panchayat Mahanirvani Akhara came out with pride in Maha Kumbh

महाकुंभ नगर, 3 जनवरी । प्रयागराज में महाकुंभ के लिए भव्य तैयारियां अपने अंतिम चरण में है जहां विभिन्न अखाड़ों की पेशवाई निकलने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। अखाड़े इसी के साथ कुंभ में छावनी प्रवेश के साथ प्रवेश करते हैं और कुंभ तक उनका डेरा वहीं पर रहता है। गुरुवार को श्री पंचायत महानिर्वाणी अखाड़ा की पेशवाई भी शान से निकाली जा रही है।

महंत यमुनापुरी महाराज के अनुसार महानिर्वाणी अखाड़ा आदि गुरु शंकराचार्य के काफी वर्षों के बाद बना हैं। मठों से आए हुए साधुओं के द्वारा ही धर्म की रक्षा के लिए इन अखाड़ों की स्थापना हुई हैं। मंदिरों को बचाने के लिए, माता-बहनों पर जुल्मों को रोकने के लिए, धर्म की जो हानि के खिलाफ खड़े होने के लिए यहां के धर्म योद्धाओं के नाम से नागा संन्यासी सदा ही जाने जाते रहे हैं। अखाड़े का इतिहास बहुत गौरवपूर्ण हैं। यहां सनातन धर्म की रक्षा के लिए संन्यासियों ने 1664 में औरंगजेब की सेना को भी पछाड़ा था। हालांकि इतिहास ने अखाड़ों के साथ बहुत न्याय नहीं किया है और नागा संन्यासियों के बारे में भी बहुत कम लिखा गया है।

गुरुवार को इस अखाड़े की पेशवाई में एक लगभग हजार से ज्यादा साधु-संत शामिल हुए हैं। बाघंबरी गद्दी के सामने नवनिर्मित महानिर्वाणी अखाड़े के भवन से इसकी शुरुआत की गई जो यहां से निकलकर संगम छावनी क्षेत्र पहुंचेगी। वही पेशवाई में नागा संन्यासी, महंत, श्री मंहत, मंडलेश्वर और महामंडलेश्वर शामिल हैं। अखाड़े के इष्टदेव भगवान विष्णु के अवतार कपिल महामुनि हैं।

इस अवसर पर महंत यमुनापुरी महाराज ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “आज हमारे कुंभ में प्रवेश के लिए श्री पंचायत महानिर्वाणी अखाड़ा की छावनी प्रवेश शोभा यात्रा बड़े हर्षोल्लास के साथ हो रही है। इसके बाद हम माता गंगा की गोद में जहां हमारी छावनी है, वहां प्रवेश कर जाएंगे। इसके बाद पूरे महीने कुंभ मेले में सम्मिलित रहेंगे और हमारे पदाधिकारी, नागा साधु आदि सब तीनों स्नानों में शामिल हो जाएंगे।”

इससे पहले 22 दिसंबर को महानिर्वाणी अखाड़े की धर्म ध्वजा स्थापित की गई थी। उस अवसर पर यमुनापुरी महाराज ने आईएएनएस से खास बातचीत में बताया था, “कुंभ मेला छावनी के प्रवेश से पहले धर्म ध्वजा की स्थापना होती है। इसमें सबसे पहले भूमि पूजन होता है, फिर ध्वज का पूजन किया जाता है और पंच देवों का पूजन किया जाता है। इसके बाद हवन होता है और पूरी प्रक्रिया होती है जिसमें कम से कम तीन-चार घंटे का समय लगता है। सवेरे से ही हम लोगों ने अपने शुभ मुहूर्त पर यह प्रक्रिया शुरू कर दी थी। आज के बाद यहां अग्नि प्रज्वलित हो जाएगी और पक्का भोजन, प्रसाद आदि सब शुरू हो जाएगा। देवताओं के अलावा, हमारे भगवान कपिल महामुनि जी की चरण पादुकाएं भी आ गई हैं।”

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