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छत्रपति शिवाजी की मूर्ति गिरने के मामले में सिंधुदुर्ग के कलेक्टर को हटाया गया, पोस्ट का स्तर घटाया

Sindhudurg Collector removed in case of Chhatrapati Shivaji statue falling, level of post reduced

मुंबई, 3 सितंबर । राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने के बाद पूरे राज्य में आक्रोश की लहर है। इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने सिंधुदुर्ग कलेक्टर का अचानक तबादला कर दिया है और इस पोस्ट को घटाकर गैर-आईएएस जूनियर प्रशासनिक स्तर श्रेणी का कर दिया है जिससे विभिन्न हलकों में लोग भौंचक हैं।

सिंधुदुर्ग के कलेक्टर किशोर एस. तावड़े को एक सामान्य पद पर स्थानांतरित कर दिया गया है। उनकी जगह हाफकिन बायो-फार्मास्युटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अनिल ए. पाटिल ने ली है।

यह आदेश उस घटना के ठीक एक सप्ताह बाद आया है, जब राजकोट किले के 10 फीट ऊंचे चबूतरे पर स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की 28 फीट ऊंची मूर्ति खराब मौसम के कारण गिर गई थी।

तावड़े पुणे स्थित महाराष्ट्र राज्य कृषि निगम लिमिटेड के नए प्रबंध निदेशक होंगे और पाटिल सिंधुदुर्ग के नए कलेक्टर होंगे।

सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) द्वारा सोमवार देर रात जारी स्थानांतरण आदेश के अनुसार, दोनों अधिकारियों तावड़े और पाटिल को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर अपने नए कार्यभार संभालने का निर्देश दिया गया है।

संवैधानिक विशेषज्ञ बैरिस्टर विनोद तिवारी ने आईएएनएस से कहा, “सवाल यह है कि गोवा राज्य की सीमा से लगे एक प्रमुख तटीय जिले सिंधुदुर्ग के कलेक्टर जैसे प्रतिष्ठित पद को अचानक गैर-आईएएस जूनियर प्रशासनिक स्तर श्रेणी में डाउनग्रेड कर दिया गया।”

तिवारी ने कहा कि सरकार के पास राज्य के सभी कलेक्ट्रेटों में से 10 प्रतिशत के लिए ऐसा करने का अधिकार है, लेकिन इस संवेदनशील मोड़ पर जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, सिंधुदुर्ग में कदम उठाने के पीछे की मंशा स्पष्ट नहीं है।

उल्लेखनीय है कि 26 अगस्त को छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने की घटना से जनता में भारी आक्रोश और राजनीतिक हंगामा मच गया था। इसका असर महायुति सरकार पर भी पड़ सकता है, क्योंकि राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं।

कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (सपा)-शिवसेना (यूबीटी) के विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने राज्य भर में आक्रामक विरोध-प्रदर्शन किया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इस त्रासदी के लिए माफी मांगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 अगस्त को कई कार्यक्रमों के लिए महाराष्ट्र आये थे। उन्होंने पालघर में एक समारोह में हाथ जोड़कर और सिर झुकाकर सार्वजनिक रूप से माफी मांग कर सबको हैरान कर दिया था।

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