हरियाणा में गेहूं की खरीद 1 अप्रैल से शुरू हुई, लेकिन राहत पहुंचाने के बजाय सिरसा जिले के किसानों को संघर्ष करना पड़ रहा है। बंपर फसल और अनाज मंडियों में रिकॉर्ड आवक के बावजूद, उठान की धीमी गति से किसान समुदाय में बड़ी परेशानी पैदा हो रही है।
17 अप्रैल तक सिरसा की मंडियों में 35 लाख क्विंटल से ज़्यादा गेहूं पहुंच चुका है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में सिर्फ़ 21 लाख क्विंटल गेहूं पहुंचा था। हालांकि, अभी तक सिर्फ़ 4.85 लाख क्विंटल गेहूं का ही उठान हो पाया है, जिससे करीब 31 लाख क्विंटल गेहूं खुले में पड़ा हुआ है।
उठान में देरी मुख्य रूप से खराब योजना और लंबित मंजूरी के कारण है। जिले के 42 खरीद केंद्रों में से केवल 12 ही पूरी तरह से चालू हैं। परिवहन निविदाएं अभी भी मंजूरी के लिए प्रतीक्षा कर रही हैं, और ट्रकों और ट्रैक्टरों की कमी ने स्थिति को और खराब कर दिया है।
सिरसा, डबवाली, कालांवाली, ऐलनाबाद और रानिया की मंडियों में भीड़भाड़ के कारण यातायात और भंडारण की समस्या पैदा हो गई है। खुले आसमान के नीचे गेहूं के ढेर लगे होने से किसान गर्मी या अप्रत्याशित बारिश से फसल के नुकसान को लेकर चिंतित हैं।
भुगतान में भी देरी हुई है, जिससे निराशा और बढ़ गई है। एलेनाबाद के एक किसान ने कहा, “हमें जल्द भुगतान का वादा किया गया था, लेकिन एक हफ़्ते से ज़्यादा हो गया है और हमें कुछ भी नहीं मिला है।”
सिरसा मार्केटिंग कमेटी के सचिव वीरेंद्र मेहता ने पुष्टि की कि कमीशन एजेंटों और खरीद एजेंसियों के साथ मुद्दों को हल करने के लिए एक बैठक आयोजित की गई थी। ठेकेदार ने अब आश्वासन दिया है कि जल्द ही उचित उठान शुरू हो जाएगा।
इस बीच, जिला विपणन प्रवर्तन अधिकारी राहुल कुंडू ने बताया कि सिरसा में प्रतिदिन करीब 7 लाख क्विंटल गेहूं की आवक हो रही है। कुल खरीद में से सरकार ने 31 लाख क्विंटल और निजी एजेंसियों ने करीब 44,000 क्विंटल गेहूं खरीदा है। लेकिन उठान अभी भी चिंताजनक रूप से कम है।
किसानों और व्यापारियों को डर है कि अगर मौसम की स्थिति खराब हुई तो उन्हें भारी नुकसान हो सकता है। कई लोग खरीद एजेंसियों के बीच खराब समन्वय, परिवहन की कमी, मजदूरों की कमी और अपर्याप्त भंडारण व्यवस्था के लिए सरकार को दोषी ठहराते हैं।
सांसद कुमारी शैलजा ने स्थिति से निपटने के सरकार के तरीके की आलोचना की है और उसके आश्वासनों को “खोखला” बताया है। हरियाणा भर में भी इसी तरह की खबरें आ रही हैं, जहां कई जिलों में बड़ी मात्रा में गेहूं खुला पड़ा है।
किसान अब तेजी से उठाव, तत्काल भुगतान और अपनी उपज के लिए बेहतर सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। अधिकारियों ने टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद सुधार का वादा किया है, लेकिन मंडियों में पहले से ही काम का बोझ होने के कारण उनका धैर्य खत्म होता जा रहा है।
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