N1Live Entertainment बच्चों के लिए कभी ‘आधार’ तो कभी ‘उड़ान’ का जरिया बने पिता, सिनेमा ने पर्दे पर उतारा खूबसूरत रिश्ता
Entertainment

बच्चों के लिए कभी ‘आधार’ तो कभी ‘उड़ान’ का जरिया बने पिता, सिनेमा ने पर्दे पर उतारा खूबसूरत रिश्ता

Sometimes fathers become the 'base' and sometimes the means of 'flight' for their children, cinema has brought this beautiful relationship on screen

किसी ने पिता के लिए सही कहा है, ‘उनके होने से बख्त होते हैं, बाप घर के दरख्त होते हैं।’ साहित्य ही नहीं, सिनेमा जगत भी पिता और बच्चों के खूबसूरत रिश्ते को पर्दे पर उतार चुका है। इस लिस्ट में भावनात्मक स्टोरी ‘बागबान’ की रही तो बच्चियों की किस्मत चमकाने वाले सख्त पिता की कहानी ‘दंगल’ भी है। ऐसी लिस्ट काफी लंबी है।

पिता और बच्चे का रिश्ता एक अनमोल बंधन है। भारतीय सिनेमा ने इस रिश्ते को कई भावनात्मक और प्रेरणादायक कहानियों के माध्यम से खूबसूरती से दिखाया है। ऐसी फिल्में न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि परिवार, जिम्मेदारी और प्यार के महत्व को भी उजागर करती हैं।

नीतेश तिवारी की ‘दंगल’ साल 2016 में आई थी, जिसमें आमिर खान ने महावीर सिंह फोगाट की भूमिका निभाई है, जो अपनी बेटियों गीता और बबीता को कुश्ती में विश्वस्तरीय चैंपियन बनाने का सपना देखता है। यह फिल्म एक पिता की दृढ़ता और अपनी बेटियों के प्रति विश्वास को दिखाती है। महावीर का अपनी बेटियों के साथ सख्त लेकिन प्रेमपूर्ण रिश्ता, उनकी मेहनत और बेटियों की सफलता दर्शकों को प्रेरित करती है। यह फिल्म पिता और बच्चे के बीच विश्वास, मार्गदर्शन और सपनों को साकार करने की कहानी है।

दीपिका पादुकोण, अमिताभ बच्चन और इरफान खान स्टारर ‘पीकू’ साल 2015 में आई थी, जो एक हृदयस्पर्शी फिल्म है। पिता-पुत्री के रिश्ते की मुश्किलों और प्रेम को दिखाती फिल्म में अमिताभ बच्चन ने 70 वर्षीय सनकी और जिद्दी पिता भास्कर बनर्जी का किरदार निभाया, जो अपनी बेटी पीकू (दीपिका पादुकोण) के साथ दिल्ली में रहता है। पीकू अपने पिता की देखभाल करती है। कहानी तब मोड़ लेती है, जब पिता-पुत्री कोलकाता की यात्रा पर निकलते हैं, जहां उनके बीच तकरार और प्यार उभरता है। इरफान खान (राणा) भी फिल्म में अहम किरदार में हैं। शुजित सरकार के निर्देशन में बनी यह फिल्म बाप-बेटी के रिश्तों की गहराई को खूबसूरती से उजागर करती है।

‘उड़ान’ साल 2010 में रिलीज हुई थी। विक्रमादित्य मोटवानी की ‘उड़ान’ युवा रोहन (रजत बरमेचा) और उसके सख्त पिता (रोनित रॉय) के रिश्ते की कहानी है। पिता का सख्त अनुशासन और बेटे की अपनी पहचान बनाने की चाह के बीच टकराव को फिल्म में बखूबी दिखाया गया है। यह फिल्म पिता-पुत्र के रिश्ते में समझ और स्वतंत्रता के महत्व को उजागर करती है।

साल 2009 में आई थी ‘पा’, जिसका निर्देशन आर. बाल्की ने किया। ‘पा’ एक अनोखी कहानी है, जिसमें अमिताभ बच्चन ने ‘औरो’ नामक 12 साल के बच्चे का किरदार निभाया है, जो प्रोजेरिया नामक बीमारी से पीड़ित रहता है। पिता की भूमिका में अभिषेक बच्चन (अमोल) हैं, जो एक महत्वाकांक्षी राजनेता हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक पिता अपने बेटे की बीमारी के समय उसे संभालता है और उसके साथ और भी गहरा रिश्ता बनाता है। औरो की मासूमियत और अमोल का अपने बेटे के प्रति समर्पण दर्शकों को भावुक कर देता है। यह फिल्म पिता-पुत्र के बीच बिना शर्त प्यार को दिखाती है, जहां पिता अपने बच्चे की खुशी के लिए हर संभव प्रयास करता है।

साल 2003 में आई मल्टी स्टारर फिल्म ‘बागबान’ जितनी बार देखी जाए, उतनी ही नई लगती है। रवि चोपड़ा की ‘बागबान’ में अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी ने एक बुजुर्ग दंपति की भूमिका निभाई है, जिन्होंने अपने बच्चों की परवरिश में जीवन समर्पित कर दिया। फिल्म में राज मल्होत्रा (अमिताभ) का अपने बच्चों के प्रति प्रेम और उनके प्रति बच्चों की उपेक्षा के दर्द को पर्दे पर सहजता के साथ उतारा गया है। फिल्म का मैसेज वाकई में सोचने पर मजबूर कर देता है। फिल्म इस बात पर जोर देती है कि माता-पिता अपने बच्चों के लिए कितना कुछ करते हैं और बदले में केवल प्यार और सम्मान की अपेक्षा रखते हैं। पिता का त्याग और बच्चों के प्रति उनकी निस्वार्थ भावना इस फिल्म का मुख्य आकर्षण है।

Exit mobile version