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‘माफ कीजिए अलविदा नहीं कह सकता सर’, कमल हासन ने एमटी नायर को दी श्रद्धांजलि

'Sorry can't say goodbye sir', Kamal Haasan pays tribute to MT Nair

चेन्नई, 27 दिसंबर। साउथ फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार कमल हासन ने ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता और मलयालम साहित्य के दिग्गज एम.टी. वासुदेवन नायर के निधन पर शोक जताया और उन्हें श्रद्धांजलि दी।

कमल हासन ‘कन्याकुमारी’ और ‘मनोरथंगल’ जैसी फिल्मों में नायर के साथ काम कर चुके हैं। नायर को वह गुरु मानते थे। पटकथा लेखक, निर्देशक और निर्माता के रूप में अपने शानदार योगदान के लिए प्रसिद्ध नायर भारतीय साहित्य और सिनेमा की एक महान हस्ती थे।

शोक व्यक्त करते हुए कमल हासन ने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में लिखा, “कन्याकुमारी फिल्म के निर्माता के रूप में उनके साथ हुई मेरी दोस्ती पचास साल तक चली और हाल ही में आई ‘मनोरथंगल’ तक जारी रही। फिल्म कन्याकुमारी ने मलयालम स्क्रीन की दुनिया से मेरा परिचय कराया।

“जो लेखक बनना चाहते हैं या जो खुद को लेखक मानते हैं, वे लोग जब लेखक के रूप में एम.टी. वासुदेवन नायर सर के कामों के बारे में सोचते हैं, तो उनके भीतर कई भावनाएं आती हैं। ये भावनाएं सम्मान, ईर्ष्या, भय और प्रेम के रूप में होती है।”

अपने शुरुआती वर्षों को याद करते हुए कमल हासन ने कहा, “मैं सिर्फ 19 साल का था, जब मैंने कन्याकुमारी (1974) फिल्म में अभिनय किया था। उस समय मैं एमटी सर को पूरी तरह से नहीं समझ पाया था। थोड़े समय बाद मैंने उनकी फिल्म ‘निर्मलयम’ (1973) देखी। अगर सिनेमा के प्रति मेरा प्यार एक छोटा सा दीपक था, तो ‘निर्मलयम’ ने उसे धधकती आग में बदल दिया।”

हासन ने आगे बताया, “मेरे विचार से सत्यजीत रे, श्याम बेनेगल, एम.टी. वासुदेवन नायर और गिरीश कर्नाड जैसे दिग्गज भले ही अलग-अलग राज्यों में पैदा हुए हों, लेकिन वे एक जैसे थे।

“एमटी सर और उनका साहित्यिक योगदान सैकड़ों वर्षों तक हमारे साथ रहेगा। हमारे जाने के बाद भी वह जिंदा रहेंगे। मुझे अलविदा कहने का दिल नहीं है, सर। कृपया मुझे माफ करें।”

नायर का कोझीकोड के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था, जहां हृदय गति रुकने की वजह से 91 वर्ष की आयु में उनका बुधवार को निधन हो गया।

“एमटी” के नाम से मशहूर नायर मलयालम के महान लेखकों में से एक थे और केरल की एक प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘मातृभूमि’ साप्ताहिक के संपादक के रूप में कार्यरत थे। पद्म भूषण से सम्मानित एमटी साहित्यिक दिग्गज और सिनेमाई दूरदर्शी थे। दोनों क्षेत्र में उनके योगदान ने एक अमिट छाप छोड़ी।

एमटी ने सात फिल्मों का निर्देशन किया था और लगभग 54 अन्य की पटकथा लिखी थी।

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