कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर पुलिस साइबर अपराधों के खिलाफ निरंतर अभियान चलाकर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित कर रही है। ऑनलाइन ठगी, डिजिटल धोखाधड़ी और फाइनेंशियल साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए पुलिस द्वारा आम जनता को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान भी संचालित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर पुलिस ने दो अलग-अलग मामलों में साइबर ठगी और आर्थिक धोखाधड़ी में लिप्त गैंग का पर्दाफाश कर बड़ी सफलता हासिल की है।
पहला मामला टेलीग्राम ग्रुप के जरिये निवेश के नाम पर 34.82 लाख रुपए की ठगी का था। इस प्रकरण में एक शिकायतकर्ता को मोबाइल पर भेजे गए लिंक के माध्यम से टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ा गया, जहां शेयर ट्रेडिंग के नाम पर आकर्षक मुनाफे का लालच दिया गया। संदिग्ध लिंक के माध्यम से आरोपी गैंग ने पीड़ित से कुल 34,82,894 रुपए हड़प लिए। जांच के दौरान मुख्य आरोपी अंकित अरोड़ा का नाम सामने आया, जिसने अपने कर्मचारियों के नाम पर प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां बनाई थीं, पर नियंत्रण स्वयं रखता था।
डिजिटल मार्केटिंग के नाम पर लोगों का डाटा एकत्रित कर उन्हें निवेश योजना में फंसाना उसका मुख्य तरीका था। पकड़े जाने से बचने के लिए वह लगातार कंपनी का पता बदलता और नई कंपनी स्थापित करता था। देशभर में उसके खिलाफ कई मुकदमे दर्ज पाए गए। कमिश्नरेट पुलिस ने तकनीकी और वित्तीय जांच के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार किया और त्वरित कार्रवाई करते हुए लगभग 19 लाख रुपए पीड़ित को वापस दिलाए।
दूसरा मामला हॉस्पिटल के कैश सिस्टम में 9 करोड़ रुपए की वित्तीय अनियमितता का है। इस मामले में नोएडा के एक निजी हॉस्पिटल में मेडिकल बिल भुगतान प्रक्रिया के दौरान गंभीर वित्तीय अनियमितता की जानकारी मिली। हॉस्पिटल के एक अधिकृत कर्मचारी द्वारा लंबे समय से कैश सिस्टम में छेड़छाड़ कर करोड़ों रुपए की हेराफेरी की जा रही थी। जांच में सामने आया कि धोखाधड़ी 9 करोड़ रुपए से अधिक की है और इसमें हॉस्पिटल कर्मचारियों की मिलीभगत भी शामिल थी।
पुलिस ने कार्रवाई करते हुए पूर्व रिकवरी अधिकारी सहित कुल 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा। इस कार्रवाई से बड़े पैमाने पर वित्तीय नुकसान रोका जा सका और हॉस्पिटल प्रशासन को सिस्टम की सुरक्षा सुधारने के लिए अलर्ट किया गया। कमिश्नरेट गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि टेलीग्राम, व्हाट्सऐप या सोशल मीडिया के माध्यम से अधिक मुनाफा देने के नाम पर निवेश का लालच देने वाले अपराधियों से सावधान रहें। किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें और अपना ओटीपी, बैंक विवरण, पासवर्ड या आधार की जानकारी किसी को भी साझा न करें।
साथ ही संदिग्ध कॉल, मैसेज या ऑनलाइन गतिविधि की जानकारी तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 या मेल के जरिए दर्ज करवाएं। पुलिस ने स्पष्ट किया कि नागरिकों की सतर्कता ही साइबर और वित्तीय अपराधों से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है। डिजिटल सुरक्षा के लिए मजबूत पासवर्ड, अपडेटेड सिस्टम और विश्वसनीय प्लेटफॉर्म का उपयोग बेहद आवश्यक है।

