हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने दलबदल विरोधी कानून को मजबूत बनाने का आह्वान किया है ताकि जनप्रतिनिधि लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखें और लोगों का विश्वास बनाए रखें। उन्होंने इस सप्ताह हिमाचल विधानसभा द्वारा आयोजित राष्ट्रमंडल संसदीय संघ, भारत क्षेत्र जोन-II के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित किया।
सम्मेलन को संबोधित करने के बाद अध्यक्ष ने कहा, “दलबदल विरोधी कानून को और अधिक कठोर और प्रभावी बनाने की सख्त जरूरत है ताकि निर्वाचित प्रतिनिधि इसकी अवहेलना न कर सकें।” उन्होंने कहा कि हिमाचल विधानसभा ने हाल ही में एक विधेयक पारित किया है, जिसमें कहा गया है कि दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराए गए किसी भी सदस्य की न केवल सदस्यता समाप्त हो जाएगी, बल्कि उसे सभी सुविधाओं और पेंशन लाभ से भी वंचित कर दिया जाएगा। इसके अलावा, ऐसे अयोग्य सदस्य को अगले छह वर्षों तक चुनाव लड़ने से भी रोक दिया जाएगा। विधेयक को अभी राज्यपाल की मंजूरी का इंतजार है।
पठानिया ने कहा, “दलबदल पर मेरे फैसले के कारण छह विधायकों की सदस्यता चली गई और हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय ने इसे बरकरार रखा है।” उन्होंने कहा कि एक सख्त दलबदल विरोधी ढांचा सरकार को अपने पूरे पांच साल के कार्यकाल के दौरान स्थिरता और विश्वास के साथ काम करने में सक्षम बनाएगा।
शासन संबंधी चुनौतियों पर उन्होंने कहा, “हमारे पास संसाधन तो हैं, लेकिन उन पर कानूनी नियंत्रण नहीं है। अपने संसाधनों पर अधिकार के बिना हम विकास कैसे हासिल कर सकते हैं?” उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को अपनी ज़रूरतों और लोगों की इच्छा के अनुसार कानून बनाने का अधिकार दिया जाना चाहिए। साथ ही, समवर्ती सूची के तहत केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानून राज्य के कानूनों पर हावी नहीं होने चाहिए।
उन्होंने कहा कि राज्यों को अपने प्राकृतिक संसाधनों से होने वाली आय में आनुपातिक हिस्सा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक भूलों को उचित संशोधनों के साथ सुधारने की जरूरत है।
पठानिया ने कहा कि सम्मेलन सफल रहा, क्योंकि इसमें आठ राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों और तेलंगाना विधान परिषद के अध्यक्ष सहित 38 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।