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जेएनयू में हिंसा करने वाले छात्रों की खैर नहीं, वीसी ने दी कड़ी कार्रवाई की चेतावनी

Students indulging in violence in JNU are not well, VC warned of strict action

नई दिल्ली, 1 मार्च । जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी प्रशासन ने शुक्रवार को उन सभी छात्रों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही है, जो बीती रात हुई झड़प के लिए जिम्मेदार थे। इलेक्शन कमेटी में सदस्यों की नियुक्ति को लेकर हुए वैचारिक मतभेद के बाद छात्रों के बीच झड़प हो गई, जिसमें कई छात्र घायल हो गए।

गुरुवार रात अखिल भारतीय विधार्थी परिषद और वाम समर्थित छात्रों के बीच स्कूल ऑफ लैंग्वेज में इलेक्शन कमेटी में सदस्यों की नियुक्ति को लेकर उभरे विवाद के बाद छात्रों के बीच झड़प हो गई।

छात्र संगठनों ने हिंसा के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है।

पुलिस को सफदरजंग अस्पताल से अन्वेषा राय, शौर्य और मधुरिमा की चोटों के संबंध में तीन मेडिको-लीगल केस रिपोर्ट मिली हैं।

पुलिस उपायुक्त रोहित मीना ने कहा, “जेएनयू में छात्रों के बीच हुई झड़प को लेकर पुलिस को शिकायत शुक्रवार 1:15 पर मिली। जांच की जा रही है।”

वीडियो भी सोशल मीडिया एक्स पर सामने आया है। वीडियो में एक शख्स डंडे से दूसरों को पीटता हुआ दिख रहा है, जबकि दूसरे वीडियो में एक शख्स साइकिल फेंकता हुआ नजर आ रहा है।

वहीं, एक वीडियो में जेएनयू के सुरक्षाकर्मी के हस्तक्षेप के बावजूद भी एक शख्स पर एक समूह द्वारा हमला किया जा रहा है।

इस बीच, अखिल भारतीय विधार्थी परिषद (एबीवीपी) ने बयान जारी कर कहा कि यह घटना जेएनयू परिसर की है, जिसमें खुद को जेएनयू का प्रेसिडेंट बताने वाली आइशी घोष की अगुवाई में दानिश अली और स्वाति सिंह सहित अन्य लोग नजर आ रहे हैं।

वहीं, बयान में कहा गया है, “इस समूह ने बैचलर और मास्टर के छात्रों पर भाषा, साहित्य और सांस्कृतिक अध्ययन स्कूल के पास हमला किया। कथित तौर पर घोष और उनके साथियों से जुड़े हमलावरों ने मानव सुरक्षा और गरिमा के प्रति भयावह उपेक्षा का प्रदर्शन करते हुए छात्रों के खिलाफ हिंसा को अंजाम दिया। यहां तक की दिव्यांग छात्रों को भी नहीं बख्शा गया है। भाषा, साहित्य और सांस्कृतिक अध्ययन स्कूल के छात्रों पर हमला शिक्षा, सहिष्णुता और मानवीय शालीनता के सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन है। इसलिए यह जरूरी है कि न्याय दिया जाए और अकादमिक समुदाय के सभी सदस्यों के कल्याण की रक्षा के लिए उपाय लागू किए जाएं।”

छात्र संगठन अखिल भारतीय छात्र संघ (एआईएसए) ने अपने बयान में कहा, “स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज में जनरल बोर्ड मीटिंग के आखिरी दिन एबीवीपी द्वारा हिंसा का एक और दौर देखा गया।”

एआईएसए (आईसा) ने दावा किया कि चुनाव समिति में सदस्यों की नियुक्ति के लिए होने वाली चुनावी प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने के मकसद से छात्र समूह एबीवीपी ने हिंसा को अंजाम दिया। एसएल इकाई के प्रमुख कन्हैया कुमार (एम.ए. जापानी) के साथ एबीवीपी के सदस्यों को छड़ें लहराते और आम छात्रों को निशाना बनाते और अंधाधुंध मारते हुए देखा गया है।

एआईएसए ने दावा किया कि पूरे दिन उन्होंने जनरल बोर्ड मीटिंग (जीबीएम) में बाधा पहुंचाने का प्रयास किया।

आईसा ने दावा किया कि जब मुस्लिम विधार्थियों ने चुनाव के लिए अपना नाम प्रस्तावित किया, तो उनके नाम को अलग कर दिया गया। उन्होंने छात्रों को लिंगवादी और जातिवादी गालियां देकर जनरल बोर्ड मीटिंग के माहौल को खराब कर दिया।

बताया गया है कि एमए (कोरियन) के विधार्थी प्रफुल जनरल बोर्ड मीटिंग के लिए एकत्रित हुए छात्रों की ओर साइकिल उठाकर पटकता हुआ नजर आ रहा है। कथित तौर पर जर्मन अध्ययन केंद्र के एक छात्र प्रियांशु द्वारा एबीवीपी में शामिल होकर एक साथी छात्र पर शारीरिक हमला करने का घृणित दृश्य पूरी तरह से क्रोधित करने वाला और निंदनीय है।

आईसा ने कहा, “पीएचडी के छात्र सूर्या, मधुरिमा कुंडू और एआईएसए के कार्यकर्ता को भी एबीवीपी के छात्रों ने पीटा। यही नहीं, उन्होंने प्रियं और अन्वेषा का भी पीछा किया और उन्हें लोहे की रॉड से बुरी तरह पीटा। वाइस चांसलर के कार्यकाल में यूनिवर्सिटी का माहौल कुछ इसी तरह का बना हुआ है। वाइस चांसलर का कार्यभार संभालने वाली शांतिशरी धूलिपुड़ी पंडित को इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि क्यों एबीवीपी लगातार यूनिवर्सिटी के छात्रों को निशाना बना रहे हैं? वाइस चांसलर को एबीवीपी द्वारा की गई हिंसा और तोड़फोड़ को स्वीकार करना चाहिए।”

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