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सुभाष घई ने खोला पुराने दौर का राज, बोले-पैसे नहीं दिल के कनेक्शन से बनता था सदाबहार संगीत

Subhash Ghai reveals secrets from the past, says evergreen music was created with a connection from the heart, not money.

फिल्म निर्माता-निर्देशक सुभाष घई ने सोशल मीडिया पर लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के साथ एक पुरानी तस्वीर शेयर की है। इस तस्वीर के साथ उन्होंने 80-90 के दशक के गोल्डन म्यूजिक के पीछे का असली राज बताया।

इंस्टाग्राम हैंडल पर सुभाष घई ने लिखा कि किसी फिल्म का संगीत तब तक यादगार नहीं बनता जब तक डायरेक्टर और म्यूजिक कंपोजर के बीच गहरा इमोशनल तालमेल न हो। उनका कहना है कि “पैसे का लेन-देन नहीं, दिल से दिल का रिश्ता” ही असली जादू लाता है।

फिल्म मेकर ने बताया कि इस पोस्ट की प्रेरणा उन्हें एक वायरल रील से मिली। इसमें एक गांव की 95 साल की बुजुर्ग महिला पूरे सुर और जोश के साथ उनकी सुपरहिट फिल्म ‘राम लखन’ का मशहूर गाना ‘बड़ा दुख दीना’ गा रही थी। यह वीडियो देखकर सुभाष घई इतने भावुक हो गए कि उन्होंने तुरंत प्यारेलाल जी को वीडियो कॉल किया और पुराने दिनों को याद किया। दोनों ने उस दौर के जुनून और आपसी लगाव को याद किया।

उन्होंने लिखा, “डायरेक्टर और म्यूजिक कंपोजर के बीच इमोशनल तालमेल ही फिल्म में बढ़िया म्यूजिक ला सकता है। पैसे का लेन-देन नहीं। मुझे सोशल मीडिया पर एक वीडियो रील मिली जिसमें 95 साल की गांव की महिला ‘बड़ा दुख दीना’ गा रही थी, जिससे मुझे प्यारेलाल जी को वीडियो पर कॉल करने और 80-90 के दशक में ऐसा म्यूजिक लाने और इमोशनल जुड़ाव के बारे में बात करने की प्रेरणा मिली। हमें खुशी हुई।”

सुभाष घई ने पोस्ट में प्यारेलाल के लिए प्रार्थना करते हुए लिखा, “भगवान उन्हें लंबी उम्र और अच्छी सेहत दें।” साथ ही उन्होंने दिवंगत लक्ष्मीकांत जी को याद करते हुए लिखा कि हम लक्ष्मीजी को भी बहुत याद करते हैं।

लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने सुभाष घई के साथ कई सफल फिल्मों में काम किया है। इनकी जोड़ी ने ‘राम लखन’ के साथ ही ‘हीरो’, ‘खलनायक’ और ‘परदेस’ जैसी कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों में काम किया।

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