मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने आज केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से हिमाचल प्रदेश को सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का दो प्रतिशत अतिरिक्त उधार लेने की अनुमति देने के अलावा बाह्य वित्तपोषण की सीमा की समीक्षा करने तथा राजस्व घाटा अनुदान (आरडीजी) को कम करने का आग्रह किया।
नई दिल्ली में सीतारमण से मुलाकात करने वाले सुखू ने राज्य में विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले आरडीजी में कमी का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए कई कदम उठाए हैं, हालांकि, ये वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजटीय दायित्वों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हैं। उन्होंने सीतारमण से अनुरोध किया कि वे राज्य को 2025-26 के लिए जीएसडीपी के दो प्रतिशत के बराबर अतिरिक्त उधार लेने की अनुमति दें।
सुखू ने केंद्रीय वित्त मंत्री से अनुरोध किया कि वे हिमाचल प्रदेश पर व्यय विभाग द्वारा बाहरी वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए लगाई गई सीमा की समीक्षा करें। उन्होंने कहा, “बाहरी वित्तपोषण लेने की पिछली स्थिति को बहाल किया जाना चाहिए, क्योंकि वर्तमान सीमा ने राज्य की वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और कई परियोजनाएं रुकी हुई हैं।”
सुक्खू ने सीतारमण से अनुरोध किया कि वे विश्व बैंक से बहुपक्षीय वित्तपोषण के लिए हिमाचल प्रदेश के पुनर्निर्माण एवं पुनर्वास प्रस्ताव पर विचार करें, जो केन्द्र द्वारा निर्धारित अधिकतम सीमा से अधिक हो।
उन्होंने कठिन भौगोलिक और मौसम संबंधी परिस्थितियों में उच्च निर्माण लागत के कारण बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता का मुद्दा भी उठाया। सीतारमण ने सुक्खू को सभी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया।
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