January 27, 2025
National

फिलिपींस को ब्रह्मोस की आपूर्ति : भारत के रक्षा पदचिह्न के विस्तार की पीएम मोदी की सोच बनी वास्तविकता

Supply of BrahMos to Philippines: PM Modi’s vision of expanding India’s defense footprint becomes reality

नई दिल्ली, 20 अप्रैल । भारत-रूस के संयुक्त उपक्रम द्बारा विकसित ब्रह्मोस मिसाइल की फिलिपींस को आपूर्ति के साथ ही वह इस मिसाइल प्रणाली को हासिल करने वाला पहला विदेशी राष्ट्र बन गया है।

यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने शुक्रवार को तब हासिल किया जब देश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान हो रहा था।

जनवरी 2022 में ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (बीएपीएल) ने फिलिपींस के राष्ट्रीय रक्षा विभाग के साथ 37.49 करोड़ डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें फिलिपींस की नौसेना के लिए तट-आधारित एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति शामिल थी।

यह कदम भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति तथा इसके समग्र भारत-प्रशांत विजन में फिलिपींस की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है। नई दिल्ली ने इसे “जिम्मेदार रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने की भारत सरकार की नीति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम” करार दिया है।

फिलिपींस के रक्षा मंत्रालय ने स्वीकार किया कि ब्रह्मोस उनके देश की संप्रभुता और संप्रभु अधिकारों को कमजोर करने के किसी भी प्रयास के खिलाफ प्रतिरोध प्रदान करेगा, खासकर पश्चिमी फिलिपीन सागर में।

प्रारंभ में, फिलिपींस को तीन बैटरियों की आपूर्ति की जाएगी, जिसमें छह लॉन्चर और मिसाइलें शामिल हैं। अनुबंध में ऑपरेटरों और देखरेख करने वालों के लिए प्रशिक्षण के साथ-साथ आवश्यक एकीकृत लॉजिस्टिक्स सपोर्ट (आईएलएस) पैकेज भी शामिल है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पिछले महीने फिलिपींस की अपनी यात्रा के दौरान वहां के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस जूनियर से मुलाकात की, और उन्हें भारत-फिलिपींस साझेदारी में हाल के विकास और द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए संयुक्त पहल के बारे में जानकारी दी।

फिलिपींस के विदेश मंत्री एनरिक ए. मनालो से मुलाकात के अलावा जयशंकर ने रक्षा और समुद्री सुरक्षा में बढ़ते सहयोग पर चर्चा करने के लिए फिलिपींस के राष्ट्रीय रक्षा सचिव गिल्बर्ट टेओडोरो से भी मुलाकात की।

विदेश मंत्रालय ने 27 मार्च को एक बयान में कहा, “क्षमता निर्माण, संयुक्त अभ्यास, सूचना आदान-प्रदान और रक्षा औद्योगिक सहयोग के माध्यम से द्विपक्षीय रक्षा संबंधों में चल रही गति को मजबूत करने पर ठोस चर्चा हुई।”

दूसरी ओर, टेओडोरो ने पश्चिम फिलिपीन सागर/दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर फिलिपींस की स्थिति के लिए भारत के “अटूट समर्थन” का स्वागत किया।

फिलिपींस के रक्षा विभाग ने कहा, “मंत्री जयशंकर ने नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। ऐसे प्रयासों के तहत, दोनों पक्ष रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने, गतिशीलता और रसद सहयोग को बढ़ाने पर भी सहमत हुए। साथ ही उभरती प्रौद्योगिकियों पर निवेश, अंतरिक्ष के क्षेत्र में जागरूकता पर सहयोग और संयुक्त अनुसंधान एवं विकास पर संभावित साझेदारी का पता लगाने पर भी सहमति बनी।”

सामान्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटना और क्षेत्र के देशों के साथ मजबूत रक्षा और सैन्य साझेदारी बनाना पिछले 10 साल में मोदी सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है।

मौजूदा लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा का ‘संकल्प पत्र’ न केवल हिंद महासागर क्षेत्र में देश के सुरक्षा हितों की रक्षा करने का वादा करता है, बल्कि घरेलू रक्षा विनिर्माण और ‘भारत में निर्मित’ रक्षा उपकरणों के निर्यात का व्यापक विस्तार करने का भी वादा करता है।

इसमें कहा गया है कि प्रमुख वायु और भूमि उपकरण प्लेटफार्मों में स्वदेशीकरण में तेजी लाकर इसे मूर्त रूप दिया जाएगा।

इसमें एक संकल्प “भारत के रक्षा पदचिह्न का रणनीतिक स्थानों पर विस्तारित करना और भारत तथा हिंद महासागर क्षेत्र के सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए मित्र देशों के साथ साझेदारी करना” है।

घोषणापत्र में क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करने की भी बात कही गई है, जिससे भारत उपमहाद्वीप में एक “विश्वसनीय और जिम्मेदार भागीदार” बन जाएगा।

घोषणापत्र में कहा गया है, “समुद्री विजन को मजबूत करते हुए हम क्षेत्र में सभी की सुरक्षा और विकास के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ सहयोग करना जारी रखेंगे।”

मिसाइल हथियार प्रणाली फिलिपींस को उस क्षेत्र में रणनीतिक जल क्षेत्र की रक्षा करने में मदद करेगी, जिसमें दुनिया के कुछ सबसे व्यस्त समुद्री मार्ग शामिल हैं। दूसरी ओर, मनीला द्वारा इसकी खरीद मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई पहल ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देगी।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कर दिया है कि अगर भारत वैश्विक स्तर पर सैन्य शक्ति बनना चाहता है तो रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भर होने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

सरकार का मानना है कि उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारों के विकास के साथ, स्वदेशी उद्योगों की वृद्धि से न केवल रोजगार पैदा होगा बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को भी बढ़ावा मिलेगा।

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