देशभर में नए वक्फ बिल पर गरमागरम बहस चल रही है, वहीं धर्मशाला में सुप्रीम कोर्ट के दो वकील इस मामले में अपनी राय रखने के लिए आगे आए हैं। बिल का समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वकील रमजान खान और असलम शेख ने सोमवार को धर्मशाला में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘सुक्खू के नेतृत्व वाली हिमाचल प्रदेश सरकार को केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए वक्फ कानून की तर्ज पर राज्य में वक्फ बोर्ड, हज कमेटी और गुज्जर कल्याण बोर्ड का गठन करना चाहिए।’
उन्होंने नए पारित वक्फ कानून की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि इससे मुस्लिम समाज के निचले तबके को लाभ मिलेगा।
रमजान खान ने कहा कि नए वक्फ कानून के तहत मुस्लिम महिलाओं को प्रतिनिधित्व मिलेगा, जबकि गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल किया जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्यों में गठित वक्फ बोर्डों में पारदर्शिता लाने के लिए हर साल उनका ऑडिट सुनिश्चित किया जाएगा, जो पहले नहीं होता था।
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार के पास इस बात की जानकारी नहीं है कि विभिन्न राज्यों के वक्फ बोर्डों के पास कितनी संपत्तियां हैं और उनसे उन्हें कितनी आय हो रही है।’’ रमजान खान ने कहा कि एक रिपोर्ट के अनुसार, देशभर के वक्फ बोर्डों के पास 9,40,000 एकड़ जमीन है, जबकि दावा केवल 100 एकड़ जमीन का है।
रमजान खान ने कहा कि वक्फ बोर्ड का गठन मुस्लिम समाज के कल्याण के लिए किया गया था। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की आय का किसी के पास कोई हिसाब नहीं है। ऐसे में नए वक्फ कानून से इसमें पारदर्शिता आएगी।
उन्होंने कहा कि एक केंद्रीय पोर्टल बनाया जाएगा, जिसमें राज्यों को छह महीने के भीतर वक्फ बोर्ड की जमीन, संपत्ति और आय के बारे में जानकारी दर्ज करनी होगी।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज के गरीब वर्ग के लोगों को विवाह, इलाज और उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 1950 में वक्फ बोर्ड का गठन किया गया था।
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