N1Live National सुप्रीम कोर्ट ने धर्म परिवर्तन मामले में यूपी पुलिस में नामजद विश्‍वविद्यालय अधिकारियों को अंतरिम सुरक्षा दी
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सुप्रीम कोर्ट ने धर्म परिवर्तन मामले में यूपी पुलिस में नामजद विश्‍वविद्यालय अधिकारियों को अंतरिम सुरक्षा दी

Supreme Court gives interim protection to university officials named in UP Police in religious conversion case

नई दिल्ली, 20  दिसंबर । सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइंस (एसएचयूएटीएस) के कुलपति और अन्य उच्च अधिकारियों को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा दे दी, जिनके खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस ने कथित तौर पर मामला दर्ज किया था। इन पर आरोप है कि इन्‍होंने एक महिला को नौकरी और अन्य प्रलोभन देकर ईसाई धर्म अपनाने के लिए राजी किया।

न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और के.वी. विश्‍वनाथ की अवकाश पीठ ने आदेश दिया, “उत्तर प्रदेश के जिला हमीरपुर के बेवर पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर संख्या 305/2023 दिनांक 4 नवंबर, 2023 के संबंध में याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तारी से बचाने के लिए एक अंतरिम आदेश भी होगा।”

इसके अलावा, पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित फैसले के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी, जिसमें आरोपी को 20 दिसंबर, 2023 को या उससे पहले अदालत के सामने आत्मसमर्पण करने और नियमित जमानत के लिए आवेदन करने का आदेश दिया गया था।

इसमें कहा गया, “नोटिस जारी करें। 12 जनवरी, 2024 तक या अगले आदेश तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय के क्रियान्वयन पर रोक रहेगी।”

मामले को 3 जनवरी को उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया है।

11 दिसंबर को पारित एक आदेश में उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी और न्यायमूर्ति मोहम्मद अज़हर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने धारा 376 डी (सामूहिक दुष्‍कर्म) और अन्य आईपीसी धाराओं और संबंधित धाराओं के तहत विश्‍वविद्यालय के अधिकारियों के खिलाफ उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 और अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम, 1956दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया था।

इसमें कहा गया है : “कोई भी भगवान या सच्चा चर्च या मंदिर या मस्जिद इस प्रकार के अनाचार को मंजूरी नहीं देगा। अगर किसी ने खुद को अलग धर्म में परिवर्तित करने का विकल्प चुना है, तो यह मुद्दे का बिल्कुल दूसरा पहलू है। मौजूदा मामले में एक युवा लड़की के कोमल मन पर उपहार, कपड़े और अन्य भौतिक सुविधाएं प्रदान करना और फिर उसे बपतिस्मा लेने के लिए कहना एक अक्षम्य पाप है।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि एफआईआर में लगाए गए आरोप बेहद गंभीर और भयावह हैं, और हमीरपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) को व्यक्तिगत रूप से जांच की निगरानी करने और 90 दिनों के भीतर संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।

अपनी शिकायत में महिला ने आरोप लगाया कि वह एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से थी और उसे एक अन्य महिला ने फंसाया था, जो उसे नियमित रूप से चर्च ले जाती थी और आरोपी द्वारा नियमित रूप से उसका यौन शोषण किया जाता था, जिसमें एसएचयूएटीएस, जिसे पहले इलाहाबाद कृषि संस्थान के रूप में जाना जाता था, के वीसी भी शामिल थे।

एफआईआर में कहा गया है कि उस युवती पर धर्म परिवर्तन और दूसरे गैरकानूनी कामों के लिए दूसरी महिलाओं को लाने का दबाव डाला गया।

इस बीच, आरोपी ने दलील दी थी कि पीड़िता को शुआट्स में नौकरी की पेशकश की गई थी और जब उसे 2022 में नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया, तो उसने वाइस-चांसलर समेत शुआट्स के सभी उच्च अधिकारियों को फंसाने के लिए एफआईआर में उल्लिखित एक कहानी बनाई।

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