N1Live National अजमेर दरगाह पर पीएम की चादर चढ़ाने पर रोक की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से किया इनकार
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अजमेर दरगाह पर पीएम की चादर चढ़ाने पर रोक की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से किया इनकार

Supreme Court refuses to hear plea seeking stay on PM's 'chadar' offering at Ajmer Dargah

अजमेर में स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर सालाना उर्स के दौरान प्रधानमंत्री और अन्य संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की ओर से चादर भेजे जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि वह इस मामले में सुनवाई की तारीख बाद में तय करेगा। वेकेशन बेंच की अगली बैठक में इस पर सुनवाई हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन की ओर से दाखिल की गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जिस स्थान पर दरगाह स्थित है, वहां पहले संकट मोचन महादेव मंदिर था। ऐसे में प्रधानमंत्री या अन्य संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों का चादर चढ़ाना उचित नहीं है। इस तरह के धार्मिक आयोजन से जुड़ना संविधान में निहित सरकारी तटस्थता के सिद्धांत के खिलाफ है।

जितेंद्र सिंह ने मांग की है कि अजमेर सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह पर उर्स के दौरान पीएम और अन्य मंत्रियों द्वारा भेजी जाने वाली चादर की परंपरा पर तत्काल रोक लगाई जाए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है। अब इस पर वेकेशन बेंच की अगली बैठक में सुनवाई हो सकती है।

वहीं, इस मुद्दे को लेकर अजमेर सिविल अदालत में पहले से ही मामला विचाराधीन है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से यह चुनौती दी गई थी कि प्रधानमंत्री की तरफ से उर्स के दौरान चादर चढ़ाने की परंपरा को जारी रखना सही नहीं है। बीते गुरुवार को अजमेर की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने फिलहाल कोई अंतिम फैसला नहीं सुनाया है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 3 जनवरी की तारीख तय की है।

गौरतलब है कि हर साल देश के प्रधानमंत्री और कई अन्य नेताओं के जरिए उर्स के दौरान अजमेर की दरगाह में चादर चढ़ाई जाती है। सोमवार को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने दरगाह पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से चादर चढ़ाई।

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