N1Live National सुप्रीम कोर्ट ने महिला एडीजे का चाइल्ड केयर लीव नामंजूर करने पर झारखंड हाईकोर्ट से एक हफ्ते में मांगा जवाब
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सुप्रीम कोर्ट ने महिला एडीजे का चाइल्ड केयर लीव नामंजूर करने पर झारखंड हाईकोर्ट से एक हफ्ते में मांगा जवाब

Supreme Court seeks response from Jharkhand High Court within a week on rejection of child care leave of female ADJ

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड की एक महिला एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज (एडीजे) कशिका एम. प्रसाद का ‘चाइल्ड केयर लीव’ (बच्चे की देखभाल के लिए अवकाश) का आवेदन खारिज किए जाने पर झारखंड हाईकोर्ट से एक सप्ताह में जवाब मांगा है।

यह निर्देश चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने महिला एडीजे की ओर से दायर की गई याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए दिया।

अदालत ने इस संबंध में झारखंड हाईकोर्ट को ईमेल के माध्यम से सूचित करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा, ”सभी पक्षों को सूचित किया जाता है कि हम अगली तिथि पर इस मामले का निपटारा करेंगे।”

याचिकाकर्ता एडीजे के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि वह एक सिंगल पैरेंट हैं और उनका सेवा रिकॉर्ड उत्कृष्ट रहा है। उनका वार्षिक गोपनीय रिकॉर्ड भी देखा जा सकता है। उन्होंने छह माह की चाइल्ड केयर लीव का अनुरोध किया था। जबकि, हाईकोर्ट की नीति के अनुसार, ऐसे मामले में 730 दिनों तक का अवकाश दिया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से पूछा कि अवकाश स्वीकृत न होने पर उन्होंने न्यायिक राहत के लिए पहले हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं किया? इस पर अधिवक्ता ने जवाब दिया कि याचिकाकर्ता को मामले में त्वरित राहत की जरूरत थी, लेकिन हाईकोर्ट के नियमों के अनुसार यह ‘अर्जेंट’ श्रेणी में नहीं आता और यह ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद ही सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होता।

एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज कशिका एम. प्रसाद झारखंड के हजारीबाग जिला अदालत में पदस्थापित थीं। हाल में उनका तबादला किया गया है। ऐसे में बच्चे की देखभाल में उन्हें दिक्कत आ रही थी। इसी वजह से उन्होंने चाइल्ड केयर लीव मांगी थी।

उनके अधिवक्ता के अनुसार, उन्होंने 10 जून से दिसंबर तक के अवकाश के लिए आवेदन किया था, जिसे नामंजूर कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इसे शीघ्र सुनवाई के लिए मेंशन किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने उनका यह आग्रह स्वीकार करते हुए उनसे यह पूछा था कि उनकी छुट्‌टी को नामंजूर क्यों किया गया? इस पर उनके अधिवक्ता ने कोर्ट को सूचित किया कि इसके लिए कोई कारण नहीं बताया गया है।

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