November 24, 2024
National

सुप्रीम कोर्ट का फैसला केजरीवाल सरकार के मुख पर करारा तमाचा : भाजपा

नई दिल्ली, 22  नवंबर । भाजपा ने आरआरटीएस के लिए फंड मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को केजरीवाल सरकार के मुख पर करारा तमाचा करार देते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में आश्वासन देने के बावजूद केजरीवाल सरकार ने आरआरटीएस के लिए फंड जारी नहीं किया और दिल्ली सरकार सिर्फ झूठे प्रचार को ही विकास का मॉडल मानती है।

दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी, दिल्ली भाजपा की सचिव बांसुरी स्वराज और दिल्ली प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर, केजरीवाल सरकार की जमकर आलोचना की।

रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा केजरीवाल सरकार के विज्ञापन बजट को जब्त करने की सख्त कार्रवाई दिल्ली सरकार के मुंह पर करारा तमाचा है। इससे यह भी पता चल जाता है कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार की क्या प्राथमिकताएं हैं। यह सरकार सिर्फ और सिर्फ झूठे प्रचार के दम पर चल रही है और कोई भी विकास कार्य इसके मॉडल में है ही नहीं।

बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने जुलाई में भी सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद यह आश्वासन दिया था कि वह दिल्ली से मेरठ के बीच बन रहे रेल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट सिस्टम के लिए अपने हिस्से का फंड देगी। तब भी दिल्ली सरकार ने कहा था कि उसके पास फंड नहीं है और सुप्रीम कोर्ट ने विज्ञापन का बजट जब्त करने की चेतावनी दी थी।

बिधूड़ी ने कहा कि हैरानी की बात यह है कि कोर्ट में दिए गए आश्वासन को भी दिल्ली सरकार ने पूरा नहीं किया और इस परियोजना के लिए इस साल का अपने हिस्से का 565 करोड़ रुपए रिलीज नहीं किया। यह कोर्ट की अवमानना भी है और इससे यह भी पता चलता है कि दिल्ली सरकार कितनी निरंकुश और नियमविरुद्ध काम कर रही है। इसीलिए अब कोर्ट को यह फैसला करना पड़ा है कि अगर उसने एक सप्ताह में फंड रिलीज नहीं किया तो उसका विज्ञापन का बजट जब्त कर लिया जाएगा। 28 नवंबर को दिल्ली सरकार को कोर्ट में बताना पड़ेगा कि इस दिशा में उसने क्या किया है।

बिधूड़ी ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है कि दिल्ली सरकार ने विकास परियोजनाओं को लेकर इस तरह लापरवाही बरती हो। दरअसल, निर्माण प्रोजेक्ट्स दिल्ली सरकार के विकास मॉडल में ही नहीं हैं। दिल्ली सरकार के मॉडल में केवल विज्ञापन यानी झूठे प्रचार को ही विकास माना जाता है। दिल्ली सरकार ने पेरिफेरियल रोड्स के निर्माण कार्य में भी अपना हिस्सा नहीं दिया था। इसके बाद प्रगति मैदान टनल जोकि 1,000 करोड़ में बनी, दिल्ली सरकार ने इसमें भी अपना 20 फीसदी हिस्सा नहीं दिया। इसके बावजूद मोदी की सरकार ने दिल्ली के हितों को देखते हुए इन निर्माण कार्यों को पूरा किया।

उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली सरकार हमेशा यही बहाना बनाती है कि उसके पास फंड नहीं है। दिल्ली मेरठ प्रोजेक्ट की कुल लागत 30,274 करोड़ रुपए है और हैरानी की बात यह है कि दिल्ली सरकार को केवल 1,180 करोड़ रुपए देने हैं जोकि कुल 3 प्रतिशत ही है। इस साल दिल्ली सरकार पर 565 करोड़ रुपए बकाया है। दूसरी तरफ दिल्ली सरकार का विज्ञापन का इस साल का बजट ही 550 करोड़ है। पिछले तीन साल का दिल्ली सरकार का विज्ञापन का बजट 1100 करोड़ रुपए है। यह बात स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने कही है। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है कि उसके पास विज्ञापन के लिए तो पैसा है लेकिन विकास कार्यों के लिए नहीं।

बिधूड़ी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस कड़े फैसले के बाद तो अब दिल्ली सरकार को मजबूर होकर यह फंड देना ही होगा लेकिन इससे जनता की आंखें भी खुल गई हैं और उसे पता चल गया है कि यह सरकार झूठे प्रचार से उसे किस तरह गुमराह कर रही है।

दिल्ली भाजपा की सचिव बांसुरी स्वराज ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि दिल्ली की चुनी हुई आम आदमी पार्टी सरकार से काम कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट को उन्हे लताड़ना पड़ता है। उन्होंने कहा कि 24 जुलाई, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने हवा में अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। आरआरटीएस जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में (जिससे दिल्ली की ट्रैफिक की समस्या का निवारण और प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सकता है) केजरीवाल सरकार ने अपने हिस्से के पैसे नहीं दिए।

बांसुरी स्वराज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को आज फिर केजरीवाल सरकार को फटकारना पड़ा है। उन्होंने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार एक निक्कमी, बहानेबाज, प्रचारक और भ्रष्टाचार में लिप्त सरकार है जो दिल्ली की सुध नही लेती है।

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