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सुरजेवाला ने संविधान पर हमलों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का आह्वान किया

Surjewala calls for a decisive fight against attacks on the Constitution

कांग्रेस नेता और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आज संविधान पर हमलों और दलितों के अधिकारों को समाप्त करने की साजिश के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का आह्वान किया।

कैथल में बीआर अंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित ‘संविधान बचाओ-अधिकार बचाओ’ सम्मेलन में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा की नरेंद्र मोदी और नायब सैनी सरकार बाबा साहब के भारत के अधिकारों पर हमला करने की साजिश कर रही है। एक तरफ भाजपा दलितों के आरक्षण को खत्म कर रही है, वहीं दूसरी तरफ दलितों के कल्याण की योजनाओं के बजट में कटौती करके उन्हें सरकार में भागीदारी से ‘बाहर’ करने की साजिश कर रही है। यह बीआर अंबेडकर की सोच और शिक्षा दोनों के खिलाफ है।

कांग्रेस नेता ने भाजपा पर संविधान बदलने और गरीबों के अधिकारों को खत्म करने की साजिश करने का आरोप लगाया और जनता से संविधान बचाने का संकल्प लेने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा, “बाबा साहब के सपनों को तोड़ने के लिए भाजपा आरक्षण पर हमला कर रही है। सरकारी संस्थाओं में 30 लाख से ज्यादा नौकरियां खाली पड़ी हैं। इन नौकरियों को न भरकर भाजपा आरक्षण खत्म कर रही है। इतना ही नहीं, पिछले 10 सालों में मोदी सरकार ने 23 सरकारी फैक्ट्रियों और उपक्रमों को बेचकर 4 लाख करोड़ रुपए कमाए हैं। जैसे ही बड़े सरकारी उद्योग निजी हाथों में बिकेंगे, आरक्षण अपने आप खत्म हो जाएगा।”

उन्होंने कहा, “मोदी सरकार दलितों के लिए बड़े तामझाम से बजट की घोषणा करती है, लेकिन उसे खर्च नहीं करती। अगर 2019-20 से 2023-24 तक के केंद्रीय बजट के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलेगा कि दलितों के कल्याण के लिए आवंटित 67,037 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किए गए। पिछले चार सालों में दलित छात्रों के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के लिए आवंटित 6,493 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किए गए। साथ ही, 2013 से 2022 के बीच दलितों पर अत्याचार में 46 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।”

हरियाणा सरकार की आलोचना करते हुए सुरजेवाला ने कहा, “भाजपा सरकार पहले तो दलितों को नाममात्र का बजट देती है और फिर उसे खर्च भी नहीं करती। 2014-15 से 2023-24 के बीच दलितों के लिए आवंटित बजट का 2,139 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किया गया। इतना ही नहीं, हरियाणा सरकार दलितों की पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति का 48 प्रतिशत पैसा भी खर्च नहीं करती। हरियाणा के पिछड़े वर्गों की भर्तियों से आरक्षण खत्म करके दलितों और पिछड़ों का हक भी छीनने का काम किया है।”

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