हाल ही में दयानंद महिला महाविद्यालय, कुरूक्षेत्र में “भारतीय समाज, संस्कृति एवं साहित्य पर ऋषि दयानंद के चिंतन का प्रभाव” विषय पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। सेमिनार हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, पंचकुला के तत्वावधान में आयोजित किया गया था।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता डॉ. रूपकिशोर शास्त्री ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती समाज के लिए प्रेरणा स्रोत थे। डॉ. शास्त्री ने कहा कि वह समानता और शिक्षा के एक प्रमुख समर्थक थे। हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, पंचकूला के निदेशक धर्मदेव विद्यार्थी ने कहा कि शिक्षा, संस्कृति और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में स्वामी दयानंद का योगदान अपूरणीय है।
डॉ. कुलदीप चंद्र अग्निहोत्री ने आर्य समाज पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद का प्रभाव सप्त सिंधु (आधुनिक पंजाब) क्षेत्र में व्यापक रूप से फैला। उन्होंने कहा कि सभी को भारतीय साहित्य संस्कृति को गौरवान्वित करने के लिए प्रयास करना चाहिए।
मुख्य अतिथि ने विद्यार्थियों को स्वामी दयानंद की शिक्षाओं को वैश्विक स्तर पर फैलाने में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया। केयू के संस्कृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर अरविंद कुमार ने विभिन्न प्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तुत शोध पत्रों पर अपने विचार व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि प्रतिनिधियों द्वारा स्वामी दयानंद सरस्वती की शिक्षाओं और दर्शन को प्रभावी ढंग से व्यक्त किया गया। प्राचार्या डॉ. उपासना आहूजा ने कहा कि संस्था स्वामी दयानंद सरस्वती की शिक्षाओं और शैक्षिक मूल्यों के आधार पर काम कर रही है।
सेमिनार के दौरान कुल 133 प्रतिनिधियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए तथा 314 व्यक्तियों ने ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यमों से सेमिनार में भाग लिया।
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