March 4, 2025
National

तमिलनाडु भाषा युद्ध के साथ-साथ परिसीमन के खिलाफ भी लड़ रहा : एमके स्टालिन

Tamil Nadu is fighting against delimitation along with language war: MK Stalin

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने एक नया वीडियो संदेश जारी किया है। इसमें उन्होंने भाषा विवाद और परिसीमन मुद्दे पर सबका साथ मांगा है। उन्होंने केंद्र की थ्री लैंग्वेज पॉलिसी की मुखालफत की है।

स्टालिन ने तमिलनाडु की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि वो जन्मदिन पर (1 मार्च) को एक बड़ी जनसभा करेंगे और अपनी सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताएंगे। इसके साथ ही उन आदर्शों पर भी फोकस होगा जो डीएमके का आधार है।

सीएम एमके स्टालिन ने कहा, “आज, तमिलनाडु दो महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है – भाषा युद्ध, जो हमारी जीवन रेखा है, और परिसीमन के खिलाफ लड़ाई, जो हमारा अधिकार है। मैं आपसे ईमानदारी से आग्रह करता हूं कि आप हमारी लड़ाई का असली सार लोगों तक पहुंचाएं।”

परिसीमन को स्टालिन ने राज्य के स्वाभिमान से जोड़ते हुए कहा, ” निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन सीधे हमारे राज्य के स्वाभिमान, सामाजिक न्याय और लोगों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावित करता है। आपको यह संदेश लोगों तक पहुंचाना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को हमारे राज्य की रक्षा के लिए उठ खड़ा होना चाहिए।”

तमिलनाडु के सीएम ने केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा, “आज, हम कर्नाटक, पंजाब, तेलंगाना और अन्य जगहों से एकजुटता की आवाज उठते हुए देख रहे हैं। इस प्रतिरोध का सामना करते हुए, केंद्र सरकार जोर देकर कहती है कि वह अपनी इच्छा हम पर नहीं थोप रही है, फिर भी उनके सभी कार्य इसके विपरीत संकेत देते हैं। उनकी त्री-भाषा नीति के कारण पहले ही हमने नुकसान उठाया है।”

डीएमके प्रमुख ने अंत में फिर अपनी मांग स्पष्ट करते हुए कहा,” केंद्र केवल जनसंख्या के आधार पर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण न करें। हम तमिलनाडु के कल्याण और भविष्य के साथ किसी भी व्यक्ति या वस्तु के लिए समझौता नहीं करेंगे। तमिलनाडु विरोध करेगा! तमिलनाडु विजयी होगा!”

दरअसल, द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (द्रमुक) सरकार का दावा है कि केंद्र, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत तीन भाषा नीति उन पर थोपना चाह रही है। गुरुवार को भी उन्होंने एक्स पोस्ट में ये मुद्दा उठाया था। लिखा, मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में दूसरी छोटी भाषाओं के कुछ उदाहरण देते हुए लिखा कि वह हिंदी थोपने का विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि हिंदी एक मुखौटा है, जबकि संस्कृत इसका छिपा हुआ चेहरा है।

स्टालिन ने लिखा, “अन्य राज्यों से आए मेरे प्रिय बहनों और भाइयों, कभी सोचा है कि हिंदी ने कितनी भारतीय भाषाओं को निगल लिया है? भोजपुरी, मैथिली, अवधी, ब्रज, बुंदेली, गढ़वाली, कुमाऊंनी, मगही, मारवाड़ी, मालवी, छत्तीसगढ़ी, संथाली, अंगिका, हो, खड़िया, खोरठा, कुरमाली, कुरुख, मुंडारी और कई अन्य भाषाएं अब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं।”

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