धर्मशाला, 21 अगस्त कोलकाता में एक डॉक्टर की हत्या और बलात्कार के खिलाफ शुक्रवार से प्रदर्शन कर रहे टांडा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया है।
इससे पहले, डॉक्टरों ने चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ हिंसा के अपराधों को गैर-जमानती बनाने के लिए मेडिकेयर प्रोटेक्शन एक्ट में संशोधन की मांग को लेकर अपनी हड़ताल को आगे बढ़ाया था। डॉक्टरों ने कहा कि शिमला में उनके संघ और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के बीच हुई बैठक के बाद हड़ताल वापस ले ली गई। सीएम ने उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया है।
डॉक्टरों ने दावा किया कि वर्तमान में अधिनियम के तहत अपराध जमानतीय हैं। टांडा मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. मुनीश सरोच ने कहा कि पिछले कुछ सालों में ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों के खिलाफ अपराधों में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि सरकार ऐसे अपराधों को गैर-जमानती बनाए।”
पिछले चार दिनों से डॉक्टरों के ओपीडी में न आने से निचले हिमाचल के प्रमुख चिकित्सा संस्थान टांडा मेडिकल कॉलेज में मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मंडी और चंबा जिलों के दूरदराज के इलाकों से कई मरीज डॉक्टरों से सलाह लेने के लिए इंतजार कर रहे थे। टांडा मेडिकल कॉलेज में हर दिन करीब 3,000 मरीज ओपीडी में आते हैं।
Leave feedback about this