नई दिल्ली, दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स फोरम ने प्रिंसिपल पदों में आरक्षण न दिए जाने की शिकायत संसदीय समिति से की है। इस शिकायत में कहा गया है कि संसदीय समिति के निर्देशों की उपेक्षा कर प्रिंसिपल के पदों को बिना आरक्षण के निकाला जा रहा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, नेशनल एससी एसटी कमीशन में भी इस मामले की शिकायत की है। टीचर्स फोरम के चेयरमैन डॉ. के.पी. सिंह ने बताया है कि दिल्ली सरकार से सम्बद्ध कॉलेजों में लंबे समय से प्रिंसिपल के पदों पर नियुक्तियां न होने से बहुत से कॉलेजों में अस्थायी प्रिंसिपल हैं। इन पदों पर आरक्षण देते हुए यथाशीघ्र स्थाई नियुक्ति करने की मांग काफी अर्से से की जा रही है। इनमें ज्यादातर दिल्ली सरकार के कॉलेज हैं।
प्रोफेसर व प्रिंसिपल पदों में आरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर टीचर्स फोरम व शिक्षक संगठनों के आग्रह पर दिल्ली विश्वविद्यालय में 9 जुलाई 2015 को नेशनल एससी एसटी कमीशन, यूजीसी, एमएचआरडी, डीओपीटी और संसदीय समिति यहां आरक्षण की स्थितियों का आंकलन करने आई थी। डीयू में आरक्षण व रोस्टर में अनेक विसंगति पाए जाने पर समिति ने 18 दिसम्बर 2015 को एक रिपोर्ट तैयार कर लोकसभा में प्रस्तुत की जिसमें कहा गया था कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों के प्रिंसिपल पदों को क्लब करके रोस्टर रजिस्टर बनाया जाए।
टीचर्स फोरम के चेयरमैन डॉ. के.पी. सिंह ने बताया है कि प्रिंसिपलों के पदों पर आरक्षण होते हुए भी दिल्ली यूनिवर्सिटी के 79 कॉलेजों में एक भी पद एससी, एसटी, ओबीसी व दिव्यांग श्रेणियों से नहीं भरा गया है।
डॉ. सिंह का कहना है कि जिन कॉलेजों ने बिना आरक्षण के प्रिंसिपल पदों का विज्ञापन निकाले हैं, विश्वविद्यालय प्रशासन को पुन क्लब किया हुआ रोस्टर रजिस्टर तैयार कर आरक्षित वर्ग से प्रिंसिपल के पदों का विज्ञापन निकालना चाहिए। यदि विश्वविद्यालय प्रशासन ने संविधान प्रदत्त आरक्षण के प्रावधानों की अवहेलना करते हुए प्रिंसिपल के पदों का विज्ञापन निकाला तो टीचर्स फोरम संबंधित कॉलेजों के अनुदान बंद करने के लिए यूजीसी को लिखेगा।