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रामनामियों के पूर्वजों ने भी बताया था राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का समय

The ancestors of Ramnamis had also told the time of consecration of Ram temple.

रायपुर, 21 जनवरी । छत्तीसगढ़ में रामनामी ऐसा संप्रदाय है जो अपने शरीर पर राम नाम का गोदना कराता है। इस वर्ग के लोगों का मानना है कि उन पूर्वजों ने पहले ही बता दिया था कि अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा शुक्ल पक्ष की एकादशी से त्रयोदशी के मध्य होगी।

सक्ती जिले के जैजेपुर में इन दिनों रामनामी मेला चल रहा है। इस मेले में आये गुलाराम रामनामी ने बताया कि लगभग 150 साल पहले हमारे पूर्वजों ने बता दिया था कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर में प्राणप्रतिष्ठा शुक्ल पक्ष एकादशी से त्रयोदशी के बीच होगी।

22 जनवरी को श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में हो रही है। गुलाराम ने कहा, उसकी तिथि हमारे पूर्वजों ने पहले ही बता दी थी। हमारा मेला भी इसी तिथि में लगता है और अद्भुत संयोग है कि श्रीराम के भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा इस समय हो रही है। पता नहीं क्या है इस तारीख में जो पंडित बता रहे हैं वही हमारे पूर्वजों ने भी बताई। ये राम ही बताएंगे।

रामनामी मेले के बारे में खम्हरिया से आये मनहरण रामनामी ने बताया कि हर साल इसी तिथि में मेले का आयोजन होता है। एक साल महानदी के इस पार और एक बार महानदी के उस पार। 150 साल पहले से हम लोग भजन गाते आये हैं। पहले छोटे भजन गाते थे, 15 साल से बड़े भजन की शुरूआत हुई।

सरसकेला से आई सेजबना ने बताया कि मेरे शरीर पर सात साल की उम्र में ही राम नाम गोदवाया गया है। मेरे माता-पिता भी भजन गाते थे। यह चौथी पीढ़ी है जो भजन गा रही है। राम नाम की महिमा अपरंपार है। जिस परिसर में यह सब भजन गा रहे हैं, उस परिसर में भी उन्होंने राम नाम लिखवा लिया है। अपने घर में राम का नाम लिखा है। वस्त्रों में राम का नाम लिखा है। रामनामी राम के नाम के उपासक हैं।

गुलाराम बताते हैं कि मेला परिसर के तीन किमी के दायरे में मांस-मदिरा निषेध है। जैसे लोग मंदिर में जूता छोड़कर जाते हैं। वैसा ही हम मानते हैं कि हमारे हृदय में राम का वास है। हमने शरीर के हर अंग में राम का नाम लिखा है तो हमने यह संकल्प लिया है कि हम अपने शरीर को दूषित नहीं कर सकते। इसलिए माँस-मदिरा से परहेज करते हैं। इसके साथ ही हम छल-कपट से भी दूर रहते हैं।

गुलाराम कहते हैं कि राम सभी जाति धर्मों से परे सबके हैं राम नाम के हजारों किस्से हैं, उनमें से एक किस्सा बताते हुए मनहरण बताते हैं कि एक बार महानदी में बड़ी बाढ़ आई। इसमें कुछ रामनामी सवार थे और कुछ लोग सामान्य लोग थे। धार बहुत बढ़ गई।

नाविक ने कहा कि अब राम नाम याद कर लो, सबका अंत आ गया है। फिर राम नाम का भजन गाया। फिर बहाव कम हो गया और सब सुरक्षित तट पर लौटे। ये 1911 की बात हैं। इसी दिन से मेला भरना शुरू हुआ।

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