हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने आज आदेश दिया कि मुख्य अभियंता विमल नेगी की मौत का मामला सीबीआई को सौंप दिया जाए।
विज्ञापनहिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीपीसीएल) में चीफ इंजीनियर के पद पर तैनात नेगी 10 मार्च को लापता हो गए थे और बाद में 18 मार्च को बिलासपुर के गोविंदसागर बांध में उनका शव मिला था। उनके परिवार ने उनकी मौत की परिस्थितियों की “निष्पक्ष” जांच के लिए मामले को सीबीआई को सौंपने की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि कार्यस्थल पर उन्हें परेशान किया जा रहा था। उन्होंने एचपीपीसीएल के प्रबंध निदेशक हरिकेश मीना, निदेशक कार्मिक शिवम प्रताप और निदेशक देश राज के खिलाफ आरोप लगाए थे।
अदालत ने सीबीआई को मामले की स्वतंत्र जांच करने का निर्देश दिया है। विस्तृत आदेश का अभी इंतजार है।
अदालत के निर्देशों का ब्यौरा साझा करते हुए नेगी परिवार के वकील आरके बावा ने कहा कि गड़बड़ी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। बावा ने कहा, “एसीएस रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच नहीं की जा रही है और जिन अधिकारियों के खिलाफ परिवार ने कार्यालय में उत्पीड़न का आरोप लगाया था, उन्हें दोषी ठहराया गया है।”
बावा ने कहा कि अदालत परिवार की इस दलील से सहमत है कि राज्य पुलिस द्वारा निष्पक्ष जांच नहीं की जा रही है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह एवं राजस्व) ओंकार शर्मा ने 8 अप्रैल, 2025 को सरकार को 66 पन्नों की तथ्यान्वेषण जांच रिपोर्ट सौंपी थी, क्योंकि उन्हें जांच का जिम्मा सौंपा गया था। यहां तक कि उन्होंने सचिव (विद्युत) के अनुरोध पर इस रिपोर्ट की समीक्षा करने से भी इनकार कर दिया था, जिसमें आरोपों का सामना करने वाले तीन अधिकारियों के खंडन को शामिल किया जाना था।
पुलिस महानिदेशक अतुल वर्मा और एसपी शिमला द्वारा प्रस्तुत विरोधाभासी हलफनामों ने भी इस संबंध में गठित एसआईटी द्वारा निष्पक्ष जांच पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है