October 29, 2025
Haryana

यमुनानगर, जगाधरी में धूमधाम से मनाया गया त्योहार

The festival was celebrated with great pomp in Yamunanagar and Jagadhri.

यमुनानगर और जगाधरी में मंगलवार को छठ महापर्व श्रद्धापूर्वक मनाया गया। पश्चिमी यमुना नहर के किनारे बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने छठ पूजा की। नहर के तीर्थ नगर घाट के पास पूर्वांचल कल्याण सभा और यमुनानगर में बाढ़ी माजरा पुल के पास पूर्वांचल समाज द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में मेयर सुमन बहमनी मुख्य अतिथि थीं।

महापौर ने श्रद्धालुओं के साथ पूजा की और सभी को छठ महापर्व की शुभकामनाएं दीं। बहमानी ने सभी को इस त्यौहार की बधाई दी, जो बच्चों और परिवार के सदस्यों की भलाई के लिए समर्पण और त्याग का सर्वोच्च कार्य है। उन्होंने छठी मैया और सूर्य देव से प्रार्थना की कि वे प्रेम की प्रतिमूर्ति माताओं की मनोकामनाएं पूर्ण करें तथा सभी के लिए सुख, समृद्धि और खुशहाली लेकर आएं।

महापौर ने कहा कि छठ पर्व भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो प्रकृति, श्रम और कर्तव्य के प्रति सम्मान को दर्शाता है। सूर्य की उपासना के साथ-साथ यह पर्व सामाजिक समरसता और पारिवारिक एकता का भी प्रतीक है।

सुमन बहमनी ने कहा, “छठ के दौरान लोग नदियों के किनारे एकत्रित होकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं और प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। यह पर्व हमें जीवन में त्याग, अनुशासन और सहयोग का महत्व सिखाता है। भारतीय संस्कृति की एक विशेषता यह है कि यहाँ हर पर्व केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि जीवन दर्शन का अग्रदूत है।”

उन्होंने कहा कि त्यौहार उन्हें याद दिलाते हैं कि जीवन केवल सांसारिक आनंद के बारे में नहीं है, बल्कि यह आत्म-अनुशासन, प्रकृति के साथ सामंजस्य, कर्तव्य के प्रति समर्पण और सामाजिक सह-अस्तित्व का एक अनिवार्य मार्ग भी है।

उन्होंने बताया कि छठ पर्व की उत्पत्ति बहुत प्राचीन है और माना जाता है कि यह वेदों में वर्णित सूर्य पूजा की परंपरा से जुड़ा है। बहमनी ने कहा, “ऋग्वेद में सूर्य को जीवनदाता और आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत बताया गया है। भारतीय ज्ञान परंपरा में सूर्य ज्ञान, तपस्या, प्रतिभा, श्रम, अनुशासन और सत्य का प्रतीक है।”

उन्होंने आगे कहा कि छठ व्रत न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि शारीरिक अनुशासन और मानसिक दृढ़ता का भी एक अनूठा उदाहरण है। बहमनी ने कहा, “चार दिनों तक व्रती महिलाएँ पूर्ण तप, संयम, एकाग्रता और सेवा भाव से नियमों का पालन करती हैं। यह संकल्प व्रत हमें सिखाता है कि जीवन की उपलब्धियाँ केवल इच्छाओं से नहीं, बल्कि त्याग, परिश्रम और अनुशासन से प्राप्त होती हैं।”

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