इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना कौसर हयात खान ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में इजरायल-ईरान युद्ध और केंद्र की विदेश नीति पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सरकार द्वारा युद्धग्रस्त ईरान से भारतीयों को सुरक्षित निकालने के कदम की सराहना की, लेकिन इजरायल में काम कर रहे भारतीय श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता भी व्यक्त की।
मौलाना ने कहा, “जब इजरायल में हालात खराब हैं और भयंकर बमबारी हो रही है, तो भारत सरकार ने वहां पांच हजार से अधिक श्रमिक क्यों भेजे? उत्तर प्रदेश सरकार ने भी खास तौर पर श्रमिकों को वहां भेजा है। उनकी सुरक्षा की चिंता क्यों नहीं की जा रही? इजरायल में मौजूद सभी भारतीयों को तुरंत वापस लाना चाहिए।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत सरकार को युद्धग्रस्त क्षेत्रों में भारतीय नागरिकों की जान जोखिम में नहीं डालनी चाहिए।
इजरायल की कार्रवाइयों की कड़ी निंदा करते हुए मौलाना ने कहा, “इजरायल कई वर्षों से संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और विश्व समुदाय की अपीलों की अनदेखी कर रहा है। वह मानवता के खिलाफ अपराध कर रहा है। बच्चे, महिलाएं और भूखे लोग जो खाने की कतार में खड़े हैं, उन पर बमबारी की जा रही है। यह अमानवीय है।”
उन्होंने इजरायल को “आतंकवाद का प्रतीक” करार देते हुए कहा कि भारत सरकार को इजरायल से सभी संबंध खत्म करने चाहिए और उसकी हर तरह की मदद बंद करनी चाहिए।
मौलाना ने भारत सरकार से ईरान और फिलिस्तीन का खुलकर समर्थन करने की मांग की।
उन्होंने कहा, “भारत के ईरान के साथ पुराने और मजबूत संबंध रहे हैं। इन संबंधों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। भारत को गाजा और फिलिस्तीन में हो रहे नरसंहार के खिलाफ खुलकर बोलना चाहिए और इजरायल की निंदा करनी चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि खाड़ी देश दवाइयां भेजकर मानवीय मदद कर रहे हैं, लेकिन इजरायल के खिलाफ ठोस कदम उठाने में अमेरिका का दबाव कई देशों को खुलकर बोलने से रोक रहा है।
मौलाना ने ईरान-इजरायल युद्ध पर विपक्षी दलों की चुप्पी पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) की आलोचना करते हुए कहा, “सपा को 80 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय का समर्थन प्राप्त है, लेकिन वह इस मुद्दे पर खुलकर नहीं बोल रही। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सपा मुस्लिमों की आवाज नहीं उठा रही और उनकी अनदेखी कर रही है। मैं सपा से अपील करता हूं कि वह ईमानदारी से अपना रुख स्पष्ट करे।”
वहीं, कांग्रेस की तारीफ करते हुए मौलाना ने कहा कि सोनिया गांधी ने ईरान और फिलिस्तीन के समर्थन में खुलकर रुख अपनाया है।
उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने भारत की पुरानी नीति का पालन किया है, जो हमेशा से ईरान और फिलिस्तीन के साथ खड़ी रही है। यह सही दिशा में उठाया गया कदम है।”
हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस का यह कदम केवल भारत की पारंपरिक विदेश नीति का हिस्सा है, न कि मुस्लिम समुदाय के लिए उठाया गया कदम।
मौलाना ने इस युद्ध के वैश्विक प्रभावों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “यह युद्ध केवल मुस्लिमों तक सीमित नहीं है। इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। इजरायल की कार्रवाइयां विश्व शांति के लिए खतरा हैं।”
उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इजरायल के खिलाफ सख्त रुख अपनाए और मानवता के पक्ष में खड़े होकर फिलिस्तीन और ईरान का समर्थन करे।