December 19, 2025
Himachal

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने युवा लेखा परीक्षकों से सीएजी को व्यवस्थागत सुधार के साधन के रूप में देखने का आग्रह किया।

The Governor of Himachal Pradesh urged young auditors to look at CAG as an instrument of systemic reform.

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने गुरुवार को भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) को सार्वजनिक संसाधनों की सुरक्षा और लोक प्रशासन में वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार एक महत्वपूर्ण संवैधानिक प्राधिकरण बताया। वे शिमला के यारोस स्थित राष्ट्रीय लेखापरीक्षा एवं लेखा अकादमी (एनएएए) में भूटान और मालदीव के अधिकारियों के साथ भारतीय लेखापरीक्षा एवं लेखा सेवा (आईएएएस) के 2025 बैच के अधिकारी प्रशिक्षुओं के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

सीएजी के संवैधानिक महत्व पर जोर देते हुए राज्यपाल ने कहा कि संविधान के निर्माण के समय से ही इस संस्था को सबसे महत्वपूर्ण संवैधानिक कार्यालयों में से एक माना जाता रहा है। उन्होंने कहा कि इसकी स्वतंत्रता और विश्वसनीयता पारदर्शी शासन और सार्वजनिक वित्त की लोकतांत्रिक निगरानी की रीढ़ हैं। उन्होंने युवा अधिकारियों से हितधारकों के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखने और वित्तीय जवाबदेही और रिपोर्टिंग तंत्र को मजबूत करने की दिशा में काम करने का आग्रह किया, विशेष रूप से जमीनी स्तर पर।

भारत के सीएजी की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा पर प्रकाश डालते हुए शुक्ला ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे प्रमुख वैश्विक निकायों के ऑडिट में संस्था की भूमिका विश्व मंच पर भारत की बढ़ती विश्वसनीयता और सॉफ्ट पावर को दर्शाती है। उन्होंने कहा, “आपकी जिम्मेदारी वित्तीय जांच से कहीं अधिक व्यापक है। आपके द्वारा किया गया प्रत्येक ऑडिट व्यवस्थागत सुधार लाने, शासन संरचनाओं को सुदृढ़ करने और सार्वजनिक सेवा वितरण की गुणवत्ता बढ़ाने की क्षमता रखता है।”

राज्यपाल ने 1950 में स्थापित एनएएए की समृद्ध विरासत को याद करते हुए कहा कि अकादमी ने देश में वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों के लिए ऐसे प्रतिष्ठित संस्थान से पेशेवर प्रशिक्षण प्राप्त करना गर्व की बात बताया। तेजी से बदलती दुनिया में निरंतर सीखने के महत्व पर जोर देते हुए शुक्ला ने रेखांकित किया कि 21वीं सदी में पेशेवर उत्कृष्टता के लिए ज्ञान और अनुकूलन क्षमता आवश्यक हैं। उन्होंने आधुनिक लेखापरीक्षा में प्रौद्योगिकी की बढ़ती भूमिका की ओर इशारा किया और अधिकारियों को लेखापरीक्षा को अधिक प्रभावी, केंद्रित और परिणामोन्मुखी बनाने के लिए उन्नत विश्लेषणात्मक उपकरणों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया।

लोक सेवा के नैतिक पहलू पर बोलते हुए राज्यपाल ने कहा कि सच्ची संतुष्टि गरीबों और वंचितों की सेवा में सहानुभूति और संवेदनशीलता के साथ काम करने में निहित है। उन्होंने कहा कि ईमानदारी, करुणा और पेशेवर दक्षता को बनाए रखकर अधिकारी न केवल लेखा परीक्षा और लेखा प्रणाली को मजबूत करेंगे बल्कि राष्ट्र निर्माण में भी सार्थक योगदान देंगे।

एनएएए के महानिदेशक एस आलोक ने प्रशिक्षुओं को अनुशासन और समर्पण के साथ काम करने की सलाह दी और उन्हें याद दिलाया कि राष्ट्र को इस सेवा से बहुत उम्मीदें हैं।

Leave feedback about this

  • Service