पंजाब के राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने रविवार को इस बात पर जोर दिया कि स्वतंत्र, विश्वसनीय और जिम्मेदार मीडिया ही भारतीय लोकतंत्र को जीवंत, जवाबदेह और मजबूत बनाए रखने वाली केंद्रीय शक्ति है। उन्होंने चेतावनी दी कि डिजिटल युग में फर्जी खबरों, गलत सूचनाओं और अपुष्ट सामग्री का बढ़ता खतरा जनता के विश्वास के लिए एक गंभीर चुनौती पेश करता है।
चंडीगढ़ में आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय मीडिया सम्मेलन का मुख्य अतिथि के रूप में उद्घाटन करते हुए कटारिया ने कहा कि मीडिया समाज की अंतरात्मा का रक्षक, नागरिकों के अधिकारों का प्रहरी और विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच संतुलन स्थापित करने वाली शक्ति है। सोशल मीडिया, वेब प्लेटफॉर्म और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का जिक्र करते हुए राज्यपाल ने कहा कि सूचना की गति और मात्रा ने तथ्य और कल्पना के बीच की रेखा को धुंधला कर दिया है, जिससे सत्य सत्यापन आज पत्रकारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती बन गया है।
कटारिया ने कहा कि पत्रकार और मीडियाकर्मी चौबीसों घंटे, अक्सर जोखिम भरी परिस्थितियों में और सीमित संसाधनों के साथ काम करते हैं, और उनका कल्याण, सुरक्षा, उचित वेतन, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य बीमा और कानूनी संरक्षण लोकतंत्र की विश्वसनीयता से अविभाज्य हैं। उन्होंने मीडियाकर्मियों की वास्तविक और वैध मांगों को पूरा करने में पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया और कहा कि वे उनके मुद्दों को सरकार के समक्ष उच्च स्तर पर उठाएंगे।
मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए ट्रिब्यून कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अनिल कुमार गुप्ता ने कटारिया के लगभग पांच दशकों के राजनीतिक और सामाजिक सफर पर प्रकाश डाला। महासचिव रुचिका एम खन्ना ने कार्यवाही का संचालन किया और मीडिया के साथ कटारिया के लंबे जुड़ाव को याद किया।
परिसंघ के अध्यक्ष रस बिहारी और महासचिव एमएस यादव ने कहा कि हाल ही में लागू किए गए श्रम कानूनों ने कामकाजी पत्रकारों के लिए महत्वपूर्ण सुरक्षा उपायों को खत्म कर दिया है, जिनमें कामकाजी पत्रकार अधिनियम के प्रावधान और अन्य श्रम सुरक्षा उपाय शामिल हैं। उन्होंने घोषणा की कि आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श करने के लिए जल्द ही नई दिल्ली में देश भर के मीडिया संघ नेताओं की एक विशेष बैठक बुलाई जाएगी और उन्होंने कटारिया से हस्तक्षेप और समर्थन मांगा।


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