मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज यहां विधानसभा में भ्रष्टाचार पर बहस में भाग लेते हुए कहा कि एकमुश्त निपटान नीति से कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक (केसीसीबी) की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) को 31 मार्च, 2022 तक 15.31 प्रतिशत से घटाकर 31 मार्च, 2024 तक 7.15 प्रतिशत करने में मदद मिली है।
भाजपा के नैना देवी विधायक रणधीर शर्मा ने आरोप लगाया था कि सरकार ने एक पूर्व कांग्रेस विधायक को विशेष लाभ पहुंचाते हुए उनके कुल कर्ज में से करीब 3.5 करोड़ रुपये माफ कर दिए, जो भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। भाजपा ने बैंक की एकमुश्त समाधान नीति के तहत पूर्व कांग्रेस विधायक सतपाल रायजादा के कर्ज माफ करने की जांच की मांग की थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केसीसी बैंक ने 9 सितम्बर, 2022 से 9 सितम्बर, 2023 तक एक वर्ष के लिए एकमुश्त निपटान नीति शुरू की है। नीति के लिए रजिस्ट्रार, सहकारी समितियों की अनुमति 23 अगस्त को ली गई थी। रजिस्ट्रार ने इस शर्त पर नीति को मंजूरी दी थी कि यह 100 प्रतिशत गैर-विवेकाधीन और गैर-भेदभावपूर्ण होनी चाहिए, जिसका अर्थ है कि यदि कोई आवेदन नीति के दायरे में है तो उसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता।
नीति के तहत पूर्व विधायक सतपाल रायजादा ने छह सितंबर 2023 को बैंक में आवेदन किया था। उनके दो खाते थे, जिनमें से एक पांच दिसंबर 2023 को बंद हो गया, जबकि दूसरा अगले दिन बंद हो गया।
सुखू ने कहा कि इस नीति के कारण बैंक का एनपीए 1,247 करोड़ रुपये से घटकर 1,040 करोड़ रुपये रह गया तथा एनपीए खातों की संख्या में भी 7,262 की कमी आई। उन्होंने कहा कि 31 मार्च 2022 को बैंक का शुद्ध एनपीए 15.31 प्रतिशत था, जो 31 मार्च 2024 को घटकर 7.15 प्रतिशत रह गया।