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‘जाने तू’ का संगीत ऐतिहासिक होने के साथ समकालीन भी : एआर रहमान

The music of 'Jaane Tu' is historical as well as contemporary: AR Rahman

विक्की कौशल और रश्मिका मंदाना स्टारर फिल्म ‘छावा’ के निर्माताओं ने बहुप्रतीक्षित ‘जाने तू’ का पहला ट्रैक जारी कर दिया है। संगीतकार ए.आर. रहमान द्वारा संगीतबद्ध इस गाने को अरिजीत सिंह ने अपनी आवाज दी है। इरशाद कामिल ने इसके खूबसूरत बोल लिखे हैं।

गाने में रश्मिका मंदाना छत्रपति संभाजी महाराज की पत्नी महारानी येसूबाई के रूप में नजर आ रही हैं। छत्रपति संभाजी महाराज का किरदार विक्की कौशल ने निभाया है। उन्हें हाथ में पूजा की थाली और आंखों में खुशी लिए घर में उनका स्वागत करते देखा जा सकता है।

ए.आर. रहमान ने ‘जाने तू’ के बारे में कहा, “मैं चाहता था कि इस गाने का संगीत छत्रपति संभाजी महाराज और महारानी येसूबाई के बीच के समय की सीमाओं से परे समर्पण जैसे प्रेम को व्यक्त करे, साथ ही आज के समय के लोगों से भी इससे जुड़ सकें। मेरा प्रयास था कि कुछ ऐसा बनाया जाए जो ऐतिहासिक और समकालीन के बीच एक ब्रिज की तरह हो। सिंगर अरिजीत सिंह की आवाज में इतनी गहराई और भाव है कि वह गाने को और भी खास बना देती है। उनकी शास्त्रीय समझ और दिल से गाने का तरीका इसे एक नई ऊंचाई पर ले जाता है, जो बहुत कम सिंगर कर पाते हैं।”

अरिजीत सिंह ने बताया, “जाने तू दिव्य और दिल से है। धुन बिल्कुल दिल को छू जाती है। मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं कि रहमान सर ने मुझे यह मौका दिया है। मैं उनका आभारी हूं। मुझे लगता है कि उनका संगीत समय से परे है और मैं उनके संगीत का अनुभव करने के लिए खुद को भाग्यशाली मानता हूं। इस गाने को गाते हुए, मैंने खुद को पवित्र और भावुक महसूस किया।”

फिल्म ‘छावा’ के निर्देशक लक्ष्मण उतेकर का कहना ​​था, “ए.आर. रहमान और अरिजीत सिंह का सहयोग हमेशा चार्टबस्टर्स से बढ़कर रहा है। उनके गाने श्रोताओं के लिए भावनात्मक मील का पत्थर होते हैं। जाने तू उन क्लासिक्स में से एक होने का वादा करता है। प्रेम का एक ऐसा गीत जो अकल्पनीय बाधाओं से गुजरा है। यह गाना पर्वत को रास्ता देने के लिए मजबूर करने वाले प्यार के प्रति श्रद्धांजलि है और समय की कसौटी पर खरा उतरता है। रहमान सर के संगीत में आपको एक अलग ऊंचाई पर ले जाने की अनोखी क्षमता है, और अरिजीत की आवाज इस यात्रा को मानवीय भावनाओं से जोड़ती है। रहमान सर, अरिजीत सिंह और इरशाद कामिल के बोलों ने इस कहानी को और भी ऊंचा किया है तथा छत्रपति संभाजी महाराज और महारानी येसूबाई के प्रेम और एक साथ रहने के बलिदान की भावना को बखूबी दर्शाया।”

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