February 21, 2025
National

सुप्रीम कोर्ट में मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर होगी सुनवाई

The Supreme Court will hear the petition challenging the appointment process of the Chief Election Commissioner

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होगी। यह याचिका एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स सहित कई संगठनों की तरफ से दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण अपना पक्ष रखेंगे।

याचिका में कहा गया कि संविधान पीठ द्वारा 2023 में दिए गए निर्देश का पालन नहीं किया गया। संविधान पीठ ने निर्देश दिया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति एक चयन समिति द्वारा की जाएगी। इस समिति में मुख्य न्यायाधीश भी शामिल होंगे।

उल्लेखनीय है कि सीईसी का चयन करने वाली तीन सदस्यीय समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं जबकि एक कैबिनेट मंत्री (वर्तमान में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह) और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष इसके अन्य सदस्य होते हैं। पहले कैबिनेट मंत्री की जगह भारत के मुख्य न्यायाधीश इसके सदस्य होते थे, लेकिन 2023 में समिति की संरचना में बदलाव किया गया था।

बता दें कि 17 फरवरी को चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को नया मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) नियुक्त किया गया। कानून मंत्रालय ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर जानकारी दी थी।

हरियाणा के मुख्य सचिव विवेक जोशी को ज्ञानेश कुमार की पदोन्नति के बाद चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया। ज्ञानेश कुमार के साथ चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किए गए सुखबीर सिंह संधू अपने पद पर बने रहेंगे।

वहीं, 18 फरवरी को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) के रूप में ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति पर सवाल उठाए थे। उन्होंने इस नियुक्ति को अपमानजनक और गलत बताया था।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष होने के कारण तीन सदस्यीय समिति में शामिल राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा था कि अगले चुनाव आयुक्त के चयन के लिए हुई समिति की बैठक में उन्होंने प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री को एक असहमति पत्र सौंपा। इसमें कहा गया था कि चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन की प्रक्रिया स्वतंत्र होनी चाहिए, ताकि चुनाव आयोग पर किसी तरह का कार्यकारी हस्तक्षेप न हो।

उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने चयन समिति से भारत के मुख्य न्यायाधीश को हटाकर और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए जो कदम उठाया, वह करोड़ों भारतीय मतदाताओं की चिंता बढ़ाने वाला है, जिससे चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा हो जाता है।

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