नई दिल्ली, 14 अगस्त । वक्फ बोर्ड के अंतर्गत दिल्ली में मस्जिदों के इमामों की तनख्वाह कुछ सालों से रुकी हुई थी। लेकिन 5-5 महीनों की तीन किश्त में कुछ इमामों की तनख्वाह को जारी किया गया। पर अभी भी इनको समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
इस मसले पर दिल्ली के मस्जिद इमाम कटरा नील के इमाम महफूज रहमान ने कहा कि चार पांच साल से इमामों की तनख्वाह रुकती ही रही है। जब से अमानतुल्ला साहब वक्फ के चेयरमैन बने, तब से इमामों की तनख्वाह नहीं मिली है। हालांकि जब वो आए तो इस मसले को लेकर हम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मिले और तनख्वाह में इजाफा की बात की।
सीएम केजरीवाल ने तनख्वाह में इजाफा भी किया। लेकिन उसके बाद कुछ ज्यादा ही कर्मचारियों को भर्ती कर दिया गया। इसमें कुछ प्राइवेट इमाम भी भर्ती किए गए, लेकिन जो वक्फ के इमाम हैं, जो रेगुलर इमाम हैं, उनको तनख्वाह शुरू से वक्फ बोर्ड से मिलती रही, लेकिन बाद में वक्फ के इमाम को नजरअंदाज किया जाने लगा।
उन्होंने कहा कि जो इमाम 2018 में आए उन्हें उस साल की तनख्वाह मिली, लेकिन 2019 और 2020 में तनख्वाह को रोक दिया गया। साल 2021 में हम लोगों को आवाज उठाना पड़ी। इसमें सभी इमाम तीन दिन तक वक्फ बोर्ड के बाहर बैठे और धरना दिया। इसके बाद हमें साल 2021 की तनख्वाह मिली। लेकिन साल 2022 की तनख्वाह अभी तक रुकी हुई है।
उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड के सदस्यों की रस्साकशी की वजह से इमाम लोग परेशान हैं। कई साल से तनख्वाह में कोई भी इजाफा नहीं हुआ है। इतनी महंगाई में परिवार के साथ गुजारा करना बेहद मुश्किल हो रहा है। हम लोग उधार लेकर दिन काट रहे हैं और कर्ज में डूबे हुए हैं।
2023 के बाद से पांच-पांच महीने बाद इमामों को तनख्वाह मिलती है। लेकिन 2022 की तनख्वाह अभी रुकी हुई है। वक्फ के साथ-साथ हुकूमत भी इमामों को तवज्जो नहीं दे रही है। अगर हमारी एक साल की तनख्वाह मिल जाएगी, तो हम लोगों को सहूलियत मिल जाएगी। सरकार की तरफ से अब तक कोई जवाब नहीं आया है। अब तक हम लोगों की समस्या का कोई हल नहीं निकला।