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कृषि गतिविधियों के चलते साइट नंबर 7 की ऊपरी सतह हो रही क्षतिग्रस्त, संरक्षण की कमी

The upper surface of site number 7 is getting damaged due to agricultural activities, lack of protection.

राखीगढ़ी गांव के हड़प्पा स्थल पर सात साइट हैं। जबकि टीला नंबर एक, दो, तीन, चार और पांच के हिस्से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने दोबारा अपने कब्जे में ले लिए गए हैं, लेकिन टीला नंबर छह और सात किसानों के निजी स्वामित्व में हैं। राखीगढ़ी में चल रही खोदाई के दौरान टीला संख्या सात पर कब्रिस्तान से एक मध्यम आयु वर्ग के पुरुष का कंकाल मिला है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम को राखीगढ़ी में चल रही खोदाई में टीला नंबर सात पर एक कब्रिस्तान से 4000 साल से अधिक पुराना एक कंकाल मिला था। एक खोज से पता चला है कि इस साइट पर की गई कृषि गतिविधियों के कारण कंकाल ऊपरी तरफ से क्षतिग्रस्त हो गया था। हड़प्पाकालीन राखीगढ़ी के टीलों को स्थान को केंद्र सरकार द्वारा आइकॉनिक साइट के रूप में घोषित किया गया है, लेकिन राखीगढ़ी में इस ऐतिहासिक स्थल के संरक्षण की कमी ने टीलों में दबी धरोहरों और ऐतिहासिक महत्व के अन्य साक्ष्यों पर असर डाला है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. संजय मंजुल ने बताया कि राखीगढ़ी में चल रही खोदाई के दौरान टीला संख्या सात पर कब्रिस्तान से एक मध्यम आयु वर्ग के पुरुष का कंकाल मिला है, लेकिन कंकाल की खोपड़ी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है, हालांकि बाकी हिस्सा अच्छी स्थिति में है। उन्होंने कहा कि यह क्षति इस स्थल पर वर्षों से किसानों द्वारा की जा रही कृषि गतिविधियों के कारण हुई है।

जानकारी के अनुसार राखीगढ़ी गांव के हड़प्पा स्थल पर सात साइट हैं। जबकि टीला नंबर एक, दो, तीन, चार और पांच के हिस्से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने दोबारा अपने कब्जे में ले लिए गए हैं, लेकिन टीला नंबर छह और सात किसानों के निजी स्वामित्व में हैं। टीला नंबर छह 33 एकड़ भूमि में फैला हुआ है और टीला संख्या सात में लगभग छह एकड़ भूमि है। इस भूमि का उपयोग किसान कृषि कार्यों के लिए कर रहे हैं।

टीला नंबर छह और सात का स्वामित्व किसानों से लेने की चल रही प्रक्रिया डॉ. संजय मंजुल ने कहा कि टीला नंबर छह और सात को संरक्षण के लिए अधिसूचित करने की प्रक्रिया चल रही है। फिलहाल साइट का यह हिस्सा स्थानीय किसानों के स्वामित्व में है जिस पर किसान खेती कर रहे हैं। हम किसानों को इससे बेदखल नहीं कर सकते हैं। यह जमीन किसानों से लेने के लिए एएसआई की बातचीत चल रही है। साइट की सुरक्षा की अंतिम अधिसूचना जल्द ही घोषित होने की संभावना है।

तय दर से किसानों को मुआवजा देगा प्रशासन डॉ. मंजुल ने कहा कि यहां तक कि ग्रामीण भी इन टीलों से रेत का खनन करते हैं। जिससे साइट के नष्ट होने का गंभीर खतरा पैदा हो जाता है। अब तक टीला नंबर 6 और 7 की प्रारंभिक अधिसूचना हो चुकी है। अंतिम अधिसूचना प्रक्रियाधीन है और फिर एएसआई स्थानीय प्रशासन की मदद से अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करेगा। वहीं तय दरों के अनुसार किसानों को मुआवजा जिला प्रशासन देगा।

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