मनरेगा का नाम विकसित भारत जी-राम जी करने को लेकर विपक्ष हमलावर है, जबकि सत्ता पक्ष के नेता इसे एक सुधारात्मक प्रक्रिया बता रहे हैं। इसी बीच भाजपा नेता सी.एन. अश्वथ ने बताया कि योजना विकसित भारत के विजन को बताती है।
भाजपा नेता सी. एन. अश्वथ नारायण ने कहा, “विकसित भारत जी-राम जी बिल बहुत प्रोग्रेसिव है और विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य को दर्शाता है। यह 2047 के भारत के विजन को दिखाता है, जो उस दिशा का संकेत देता है जिसमें देश आगे बढ़ना चाहता है। सभी भारतीयों में जागरूकता पैदा करना बहुत जरूरी है; यह समझने की जरूरत है कि हमें कहां जाना है और क्या करने की जरूरत है। नाम बदलने का एक साफ मकसद और इरादा है, जिसका लक्ष्य महात्मा गांधी के स्वराज के सपने को साकार करना और एक विकसित समाज की स्थापना करना है।”
उन्होंने बिल को लेकर कांग्रेस के विरोध पर कहा, “कांग्रेस ने गांधीजी के विजन को कमजोर किया है। पार्टी गांधीजी के सच्चे सिद्धांतों को अपनाए बिना सिर्फ उनके नाम का इस्तेमाल करना चाहती है। इस तरह, कांग्रेस पार्टी अक्सर स्वार्थी साबित होती है, जो देश से ज्यादा अपने निजी हितों को प्राथमिकता देती है।”
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, “मैं कहूंगा कि यह राजनीतिक चाल है। यह मजदूरों के हित में उठाया गया बहुत अच्छा कदम है। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वे वही लोग हैं जो मजदूरों के खिलाफ हैं। चाहे टीएमसी हो या कांग्रेस, यह नया बिल मजदूरों के हित में है।”
बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त हो गया है। इस सत्र के दौरान महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलकर ‘विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ यानी ‘विकसित भारत-जी राम जी’ करने वाले बिल को लेकर पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव देखने को मिला।
जहां एक ओर विपक्ष ने सरकार पर एजेंडे के तहत जानबूझकर योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाने की साजिश का आरोप लगाया, वहीं सत्ता पक्ष के लोगों ने पुराने बिल में सुधार की बात कही और इसे आवश्यक बताया।

