प्रयागराज, 21 नवंबर। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा-वृंदावन ठाकुर बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर की सरकारी योजना को हरी झंडी दे दी है। इसके साथ ही कुंज गलियों से अतिक्रमण हटाने का आदेश भी दिया है। हालांकि कोर्ट ने मंदिर के बैंक खाते में जमा धन 262.50 करोड़ रुपए का कॉरिडोर बनाने में उपयोग करने की सरकार को परमिशन नहीं दी है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने अनंत कुमार शर्मा व अन्य की जनहित याचिका पर दिया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार कानूनी प्रक्रिया के तहत दर्शन प्रभावित किए बगैर अपने धन से लोक व्यवस्था, जन स्वास्थ्य, सुरक्षा और जन सुविधा प्रदान करने का अपना दायित्व पूरा करें। अधिवक्ता ने बताया कि कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन को भी कहा है कि किसी भी श्रद्धालु को दर्शन करने से प्रतिबंधित न करें। जिला प्रशासन आदेश का पालन सुनिश्चित कर अगली सुनवाई की तिथि 31 जनवरी 2024 को अपनी रिपोर्ट पेश करे। कोर्ट ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 में मिला धार्मिक अधिकार पूर्ण नहीं है। यह मौलिक अधिकार कुछ हद तक लोक व्यवस्था के अधीन है। उचित अवरोध लगाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा लोकहित का कार्य पंथ निरपेक्षता का क्रियाकलाप है।
कोर्ट ने सरकार को कहा कि तकनीकी विशेषज्ञ की सहायता से गलियों का अतिक्रमण हटाकर कॉरिडोर योजना अमल में लाएं। दोबारा अतिक्रमण न हो, अगर अतिक्रमण होता है तो तुरंत कार्रवाई की जाए। वकील ने कहा कि एक बार अतिक्रमण हटाने के बाद इन गलियों में दोबारा अतिक्रमण न हो और मंदिर के पहुंच मार्गों पर कोई बाधा न पहुंचे, सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा। इस केस में 31 जनवरी 2024 को अगली सुनवाई होगी।
ज्ञात हो कि हाईकोर्ट ने 8 नवंबर को इस मामले में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकार अपनी प्रस्तावित योजना के साथ आगे बढ़ सकती है, मगर यह भी तय करे कि दर्शनार्थियों को दर्शन में बाधा न आए। अनंत शर्मा, मधुमंगल दास और अन्य की ओर से 2022 में जनहित याचिका दाखिल की गई थी। इसमें कहा गया था कि आम दिनों में मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की संख्या 40 से 50 हजार होती है। मगर, शनिवार-रविवार और छुट्टियों के दिन यह संख्या डेढ़ से ढाई लाख तक पहुंच जाती है। त्योहार और शुभ दिनों में मंदिर में ठाकुर जी के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की संख्या लगभग 5 लाख पहुंच जाती है। मंदिर तक पहुंचने की सड़कें बहुत संकरी और भीड़-भाड़ वाली हैं। लिहाजा, भारी भीड़ की वजह से आवाजाही में तमाम दिक्कतें होती हैं।
संकरी गलियों पर अतिक्रमण कर लिया गया है। इससे स्थिति और खराब हो गई है। गलियां और संकरी हो गई हैं। अक्सर भगदड़ जैसी स्थिति बन जाती है। हाल ही में ही कुछ लोगों की दम घुटने से मौत हो चुकी है। प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से भीड़ वाले दिनों में फेल हो जाती है। इसके बाद भी यूपी सरकार और जिला प्रशासन ने कोई उचित और ठोस कदम नहीं उठाया। रिट में हाईकोर्ट से इस मामले में उचित कदम उठाए जाने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने की अपील की गई थी। याचिका पर अधिवक्ता श्रेया गुप्ता, सेवायतों की तरफ से संजय गोस्वामी, राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र, अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल व मुख्य स्थायी अधिवक्ता कुणाल रवि आदि ने बहस की। गोस्वामियों की तरफ से याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की गई कि यह निजी मंदिर है। सरकार को इसके प्रबंधन में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।