हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कांग्रेस विधायक बी.बी. बत्रा को आश्वासन दिया कि पीर बोधी (रोहतक-गोहाना रोड) पर वक्फ बोर्ड की जमीन पर कोई अतिक्रमण नहीं है और किसान लीज एग्रीमेंट के तहत जमीन पर खेती कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि अगर कोई अतिरिक्त जानकारी चाहिए तो वह मुहैया कराई जाएगी।
हरियाणा विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान बत्रा ने सवाल किया कि क्या पीर बोधि में 125 साल पुराना तालाब मौजूद है, क्या इसे वक्फ बोर्ड को आवंटित किया गया था और क्या भू-माफियाओं ने तालाब को पाटकर उस पर कब्जा कर लिया है।
राजस्व मंत्री विपुल गोयल ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा, “राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार इस जगह पर कभी कोई तालाब नहीं था। वक्फ बोर्ड के पास ज़मीन है और कोई भू-माफिया नहीं है। ज़मीन किसानों को पट्टे पर दी गई है।”
हालांकि, बत्रा ने सदन में तस्वीरें लहराते हुए मंत्री के जवाब को चुनौती दी और आरोप लगाया कि भू-माफिया राजनीतिक संरक्षण में काम कर रहे हैं। उन्होंने मांग की, “तालाब के अस्तित्व की पुष्टि के लिए विधायकों की एक समिति गठित की जानी चाहिए और इस मामले की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया जाना चाहिए।”
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी बत्रा का समर्थन करते हुए कहा, “यह एक गंभीर मुद्दा है। तालाब के भरने से इलाके में बाढ़ आ गई है। मैंने व्यक्तिगत रूप से तीन बार डिप्टी कमिश्नर से बात की, जिसके बाद तालाब भरने का काम रोक दिया गया।”
सरकार के रुख को स्पष्ट करते हुए सीएम सैनी ने कहा, “यह ज़मीन ऊबड़-खाबड़ थी और लीज़धारकों ने खेती के लिए इसे समतल कर दिया है। किसान हर साल लीज़ एग्रीमेंट के तहत इस ज़मीन पर खेती करते हैं। इस पर कोई अतिक्रमण नहीं है।” उन्होंने आश्वासन दिया कि अगर और जानकारी की ज़रूरत होगी तो बत्रा को दी जाएगी।
कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ने मेवात विकास बोर्ड (एमडीबी) के अपर्याप्त बजट पर चिंता जताते हुए कहा कि यह गरीबी, बेरोजगारी और सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने के अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर रहा है।
हालांकि, सरकार का कहना है कि पिछले दशक में मेवात ने काफी प्रगति की है और विकास में तेजी लाने के लिए इसे केंद्र की आकांक्षी जिलों की सूची में शामिल किया गया है।
मंजू चौधरी के प्रश्न के उत्तर में पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव मंत्री राव नरबीर सिंह ने सदन को बताया कि नांगल चौधरी (महेंद्रगढ़ जिला) में हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) के तहत पंजीकृत 81 स्टोन क्रशर संचालित हैं।
उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ बंद हो चुके स्टोन क्रशरों ने अलग कंपनी के नाम से पुनः आवेदन किया होगा, उन्होंने कहा, “यह संभव है कि पहले बंद हो चुके कुछ क्रशरों ने अपनी कंपनी का नाम बदल लिया हो और पुनः आवेदन किया हो।”