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‘नेता के जीवन में छुपाने के लिए कुछ नहीं’, तेजस्वी द्वारा जासूसी के आरोपों पर बोले दिलीप जायसवाल

'There is nothing to hide in the life of a leader', said Dilip Jaiswal on Tejashwi's spying allegations.

पटना, 17 सितंबर । बिहार की राजनीति में इन दिनों जासूसी को लेकर सियासी पारा अपने चरम पर है। तेजस्वी यादव ने बिहार की नीतीश सरकार पर सीआईडी और अन्य खुफियां एजेंसियों का सहारा लेकर विपक्ष में बैठे लोगों की जासूसी करने का आरोप लगाया। नीतीश सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। अब इस पर बीजेपी नेता दिलीप जायसवाल की प्रतिक्रिया सामने आई है।

उन्होंने कहा, “एक नेता जनता के लिए जीता है और उसे जनता के लिए ही जीना चाहिए, तो ऐसे में जासूसी का तो कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। जासूसी तब होती है, जब कुछ चीज छुपाकर रखी गई हो, लेकिन यहां किसी भी प्रकार की कोई भी बात छुपाकर नहीं रखी गई है, तो ऐसी स्थिति में जासूसी का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है। एक नेता का जीवन पारदर्शी होता है। ऐसी स्थिति में उसके अंदर छुपाने जैसी कोई बात नहीं है।”

उन्होंने आगे कहा, “मैं कुल मिलाकर यही कहना चाहूंगा कि किसी भी राजनेता की गतिविधियां जनता से छुपी नहीं होती है और ना ही छुपी रहनी चाहिए। नेता का पूरा जीवन पारदर्शी होता है। मुझे लगता है कि तेजस्वी यादव ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल नहीं किया है, अगर किया होता, तो आज वो इस तरह के बयान नहीं दे रहे होते। एक नेता की जासूसी हो, यह सवाल ही पैदा नहीं होता है। वो ऐसे ही भ्रामक बयान दे रहे हैं। उनकी लोकप्रियता का ग्राफ गिर रहा है, इसलिए वो येन केन प्रकारेण इस तरह के बयान दे रहे हैं।”

उन्होंने वन नेशन और वन इलेक्शन को लेकर मचे सियासी बवाल पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “यह हमारा सपना है। हम इसे जमीन पर उतारकर रहेंगे। देश में रोज चुनाव हो रहे हैं, कभी विधानसभा तो कभी पंचायत तो कभी किसी और के। ऐसे में वन नेशन वन इलेक्शन जरूरी हो जाता है, लेकिन मुझे यह नहीं पता है कि यह कब से लागू होने जा रहा है।”

उन्होंने केजरीवाल प्रकरण पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “केजरीवाल शायद यह भूल रहे हैं कि उन्हें शर्तों पर जमानत मिली है। लिहाजा वो शर्तों को मानने के लिए बाध्य हैं। मैं समझता हूं कि वो शर्तों के दायरे में रहे, तो ज्यादा उचित रहेगा।”

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