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कफ सिरप से मौत के मामले में नहीं होगी सीबीआई जांच, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

There will be no CBI inquiry into the cough syrup death case; the Supreme Court dismissed the petition.

मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप पीने से कई बच्चों की मौत के मामलों को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इस तरह के मामलों की जांच राज्य सरकारें खुद करने में सक्षम हैं और हर बार सुप्रीम कोर्ट से निगरानी की मांग करना न्यायिक प्रणाली पर अविश्वास जैसा है।

दरअसल, वकील विशाल तिवारी की ओर से याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें मांग की गई थी कि इस पूरे मामले की जांच किसी राष्ट्रीय न्यायिक आयोग या विशेषज्ञ समिति से कराई जाए। साथ ही, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि इस जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज करें, ताकि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी हो सके।

याचिका में यह भी कहा गया था कि देशभर में बार-बार कफ सिरप या अन्य दवाओं के कारण बच्चों की मौत की खबरें सामने आती रही हैं, लेकिन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। इसलिए जरूरी है कि बाजार में आने से पहले हर दवा का सही तरीके से टेस्टिंग प्रोसेस हो।

वकील तिवारी ने दलील दी कि दवाओं में इस्तेमाल होने वाले डाई एथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल जैसे जहरीले रसायनों की बिक्री और निगरानी पर सख्त नियम बनाए जाएं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। उन्होंने यह भी मांग की थी कि इस मामले में पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाए और जिन राज्यों में एफआईआर दर्ज हैं, उन्हें एक ही जगह ट्रांसफर कर एकसमान जांच कराई जाए।

साथ ही, याचिका में यह भी आग्रह किया गया था कि कफ सिरप के नाम पर जहरीली दवाएं बनाने वाली कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए जाएं और उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई हो।

वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से राज्य सरकारों का विषय है और वे स्वयं जांच करने में सक्षम हैं। अगर हर मामले में सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करेगा, तो यह राज्य सरकारों पर अविश्वास जताने जैसा होगा।

उन्होंने याचिकाकर्ता की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि जहां भी कुछ होता है, ये अखबार पढ़कर पीआईएल दाखिल कर देते हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने तिवारी से पूछा कि अब तक उन्होंने कितनी पीआईएल दाखिल की हैं। इस पर तिवारी ने जवाब दिया कि 8 या 10।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बिना कोई टिप्पणी किए यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि राज्य सरकारें इस मामले में खुद कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त सक्षम हैं।

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