पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना ने ऐसी मशीन विकसित की है। जिससे न सिर्फ पराली का भंडारण किया जा सकेगा बल्कि धान के बाद अगली फसल गेहूं की भी बुआई की जा सकेगी।
इस मशीन में कंबाइन भी है और मशीन के माध्यम से खाद और यूरिया का खर्च भी बचाया जा सकता है। फिलहाल पंजाब में तीन मशीनों से इस मशीन के परिणामों की निगरानी की जा रही है और एक मशीन धारीवाल के निकट गांव बिधिपुर में स्थापित की गई है।
इस मशीन के परिणामों की जाँच की गई। इस अवसर पर एडवोकेट एचएस फुल्का तथा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति गुरशरण सिंह भी परिणाम देखने के लिए पहुंचे। एचएस फुलकला कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति गुरशरण सिंह ने नतीजों पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि तेज हवाओं के बावजूद इस मशीन से बोई गई गेहूं की फसल गिरी नहीं और पूरी तरह मजबूत है।
किसानों के लिए सिरदर्द बन चुके पराली को जहां इस मशीन से खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा, वहीं इस मशीन से गेहूं की बुआई करने पर खाद और यूरिया का खर्च भी बचेगा।