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बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के विस्तार की वजह से भारत में कॉपर की मांग आया जबरदस्त उछाल

Tremendous surge in demand for copper in India due to expansion of infrastructure projects

नई दिल्ली, 10 दिसंबर । अंतर्राष्ट्रीय कॉपर एसोसिएशन इंडिया के ताजा आंकड़ों के अनुसार, बुनियादी ढांचे और निर्माण क्षेत्रों में मजबूत वृद्धि के कारण भारत में कॉपर की मांग में सालाना आधार पर 13 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो 2023-24 में 1,700 किलोटन तक पहुंच गई।

अंतरराष्ट्रीय कॉपर एसोसिएशन इंडिया (आईसीएआई) ने एक बयान में कहा कि कॉपर की मांग में भवन निर्माण और बुनियादी ढांचे का योगदान 43 प्रतिशत है, जबकि सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान 11 प्रतिशत है।

इस उछाल का श्रेय समग्र आर्थिक विस्तार को जाता है। उद्योग निकाय ने कहा कि कोविड महामारी के बाद, वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2024 के बीच औसत वार्षिक कॉपर की मांग में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

एसोसिएशन को उम्मीद है कि कॉपर की मांग में और वृद्धि दर्ज की जाएगी, क्योंकि बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं और भवन निर्माण क्षेत्र तेजी से बढ़ रहे हैं।

जीडीपी के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में बुनियादी ढांचे और निर्माण क्षेत्र में क्रमशः 9.1 प्रतिशत और 6.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

अंतर्राष्ट्रीय कॉपर एसोसिएशन इंडिया के प्रबंध निदेशक मयूर करमरकर ने कहा, “ये रुझान कॉपर की मांग में मजबूत वृद्धि को दर्शाते हैं, जो भारत के जीडीपी विकास से जुड़े हैं।

सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के निवेश, उच्च उपभोक्ता खर्च और भवन निर्माण, बुनियादी ढांचे, परिवहन, औद्योगिक और उपभोक्ता वस्तुओं जैसे प्रमुख क्षेत्रों में प्रगति से यह वृद्धि हुई है, जिसमें कॉपर की मांग में दोहरे अंकों में वृद्धि हुई है।

इसी अवधि के दौरान कॉपर कैथोड का घरेलू उत्पादन 8 प्रतिशत बढ़ा और कॉपर के विभिन्न रूपों के शुद्ध आयात में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

करमरकर ने कहा, “ये रुझान भारत में एक मजबूत कॉपर इकोसिस्टम विकसित करने की क्षमता को उजागर करते हैं। अदाणी के कॉपर स्मेल्टर के वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही से चालू होने और कॉपर कंसन्ट्रेट और ब्लिस्टर पर शुल्क छूट के साथ घरेलू उत्पादन का दृष्टिकोण आशाजनक है।

उन्होंने कहा, “ये प्रगति, सस्टेन्ड मांग वृद्धि के साथ मिलकर कॉपर को भारत की तकनीकी और आर्थिक आकांक्षाओं के प्रमुख के रूप में स्थापित करती है।”

आईसीएआई ने कहा कि भारत ने 4,68,000 टन एंड ऑफ लाइव और प्रोसेस कॉपर और एलॉय स्क्रैप का उत्पादन किया, जिसे वित्त वर्ष के दौरान अतिरिक्त 1,92,000 टन कॉपर और एलॉय स्क्रैप के शुद्ध आयात द्वारा और बढ़ाया गया। कुल सेकेंडरी स्क्रैप सप्लाई में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

वर्तमान में, भारत मुख्य रूप से स्क्रैप के पिघलने पर निर्भर करता है, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न प्रकार के स्क्रैप के उपयोग के कारण कॉपर की शुद्धता में भिन्नता होती है।

आईसीएआई के प्रबंध निदेशक ने कहा कि कॉपर के उत्पादों के लिए क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर (क्यूसीओ) के कार्यान्वयन से यह सुनिश्चित कर लंबे समय में क्वालिटी से जुड़े मुद्दों का समाधान होने की उम्मीद है कि भारत में उपयोग किया जाने वाला तांबा सख्त मानकों का पालन करता है।

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