भोपाल, 24 नवंबर । मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हो चुके हैं और मतगणना होने से पहले कई नौकरशाहों पर गंभीर आरोप लगने लगे हैं। चुनाव नतीजे आने के बाद इन अफसरों को सबक सिखाए जाने तक की बयानबाजी हो रही है।
दरअसल, राज्य में मतदान के दौरान कई स्थानों पर गड़बड़ी की शिकायतें आई और उसमें प्रशासनिक अधिकारियों पर भी पक्षपात करने के आरोप लगे। सत्ताधारी दल भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से खुलकर आरोप लगाए गए। इतना ही नहीं दोनों दलों के प्रतिनिधिमंडलों ने चुनाव आयोग में शिकायत की।
राज्य में लगभग एक दर्जन ऐसे कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक हैं, जिनके खिलाफ दोनों राजनीतिक दलों की ओर से गंभीर आरोप लगाए गए हैं और शिकायतें की गई है। कांग्रेस ने तो अपने कार्यकर्ताओं से ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की भी सूची मंगाई है, जिन्होंने चुनाव के दौरान सत्ताधारी दल का कथित साथ दिया है।
भाजपा की ओर से भी ऐसे अफसरों को सबक सिखाए जाने की बात की जा रही है, जिन्होंने मतदान के दौरान मनमानी की है। जानकारों का कहना है कि दोनों ही राजनीतिक दल यह मानकर चल रहे हैं कि चुनाव नतीजे काफी कशमकश भरे रहने वाले हैं।
इन स्थितियों में प्रशासनिक मशीनरी पर दबाव बनाने का एक ही तरीका है और वह है उन पर पक्षपात के आरोप लगाना। इसी के चलते दोनों ही राजनीतिक दल दबाव बनाने और बढ़ाने के लिए नौकरशाहों पर आरोप लगा रहे हैं। हां, यह बात भी सही है कि कुछ अफसरों ने मनमानी तो की ही है।