न्यूयॉर्क, विदेश नीति में कट्टरपंथी नजरिया रखने वाले और भारत समर्थक मार्को रुबियो, अमेरिका के नए विदेश मंत्री होंगे। सोमवार रात को कई रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि ट्रंप के करीबी सूत्रों के अनुसार, वह फ्लोरिडा के सीनेटर को अपना विदेश मंत्री बनाने की योजना बना रहे हैं।
क्यूबा के अप्रवासी के बेटे रुबियो के बारे में यह भी कहा जाता है कि वह जेडी वेंस के चुने जाने से पहले उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों में भी शामिल थे।
रुबियो चीन के प्रति सख्त रुख रखते हैं और भारत को क्षेत्र और वैश्विक स्तर पर बीजिंग के जवाब के रूप में देखते हैं। उन्होंने जुलाई में रक्षा क्षेत्र में भारत-अमेरिका सहयोग को मजबूत करने के लिए एक विधेयक पेश किया, जिसमें भारत के सामने ‘बीजिंग की बढ़ती आक्रामकता’ का हवाला दिया गया।
रुबियो के अनुसार, अमेरिका-भारत रक्षा सहयोग अधिनियम भारत के साथ वैसा ही व्यवहार करने की कोशिश करता है, जैसे कि वह टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के मामले में जापान, इजरायल, कोरिया और नाटो सहयोगियों के साथ करता है।
पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन यात्रा से पहले दिए गए एक बयान में रुबियो ने कहा था, “हम खुद को वैश्विक इतिहास के एक नए मोड़ पर पाते हैं, जिसमें भारत और अमेरिका दोनों इस महत्वपूर्ण साझेदारी को अधिक मजबूत कर सकते हैं। अपने साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और राष्ट्रीय हितों की नींव पर इसे आगे बढ़ा सकते हैं।”
रुबियो ने कहा, “हमारे राष्ट्रों के आर्थिक और सुरक्षा हित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, विशेष रूप से हिमालय और हिंद महासागर में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की बढ़ती शत्रुता के मुद्दे पर।” उन्होंने कांग्रेस और सरकार से भारत के साथ संबंधों को प्राथमिकता देने की अपील की।
हालांकि रुबियो ने रूस के खिलाफ कड़ा रुख रखते हैं, लेकिन वे ट्रंप की इस बात को स्वीकार करते नजर आते हैं कि यूक्रेन के साथ युद्ध को कुछ समझौते के साथ समाप्त किया जाना चाहिए, जिसे कुछ लोग मॉस्को को बढ़त देने और कीव को नुकसान में डालने के रूप में देखते हैं।
रुबियो 2016 में राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन नामांकन को लेकर ट्रंप के खिलाफ नाकाम रहे, लेकिन 2020 और इस साल उन्होंने ट्रंपी की उम्मीदवारी का समर्थन किया।
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