झारखंड के खूंटी जिले में बनई नदी पर स्थित पुल को ध्वस्त हुए दो माह गुजर चुके हैं। न तो इसके पुनर्निर्माण की पहल हुई, न पुल के समानांतर कोई डायवर्जन बना। ऐसे में हर रोज मुसीबत झेल रहे लोगों ने सरकार और प्रशासन की नाकामी पर विरोध जताने के लिए अनोखा तरीका अपनाया।
उन्होंने मंगलवार को पुल के पास केक काटकर अपना आक्रोश जाहिर किया। ग्रामीणों ने कहा कि सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे तो सरकार मुकदमा कर देगी। ऐसे में विरोध का यह तरीका अपनाया गया है।
खूंटी-तोरपा-कोलेबिरा मार्ग पर पैलोल गांव स्थित यह पुल 19 जून को भारी बारिश में ध्वस्त हो गया था। उसके बाद से इस सड़क पर आवागमन बाधित है। इसका असर स्कूली बच्चों, किसानों, गर्भवती महिलाओं, मरीजों, व्यापारियों और वाहन चालकों पर सीधे तौर पर पड़ रहा है। बच्चों को नदी पार कर स्कूल जाना-आना मुश्किल हो गया है। आपात स्थिति में मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे। किसानों को खाद-बीज लाने और खेतों तक जाने में परेशानी हो रही है, जबकि व्यापारियों का धंधा ठप पड़ गया है।
पुल ध्वस्त होने के बाद स्कूली बच्चे कई दिनों तक सीढ़ी लगाकर रास्ता पार करते थे। इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थीं। ग्रामीणों ने बताया कि पुल टूटने के बाद नेताओं ने मौके का दौरा किया और आश्वासन भी दिए।
विधायक राम सूर्या मुंडा ने तो डायवर्जन निर्माण का शिलान्यास तक किया था। कहा गया था कि जुलाई के पहले डायवर्जन तैयार हो जाएगा, लेकिन दो महीने बाद भी काम शुरू नहीं हो सका।
ग्रामीणों का कहना है कि अब तक केवल राजनीति हुई है, समाधान नहीं। नाराज ग्रामीणों ने कहा है कि यदि विभाग शीघ्र ही वैकल्पिक मार्ग का निर्माण का काम शुरू नहीं करता, तो वे श्रमदान कर खुद सीमेंट की बोरियों से नदी पर अस्थायी रास्ता बनाएंगे ताकि चारपहिया वाहन भी गुजर सकें। उनका कहना है कि रोजमर्रा की समस्याओं से जीवन मुहाल हो चुका है और वे अब ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते।