गुरुग्राम : शहर की सड़कों पर पैदल चलने वालों और दुपहिया वाहनों पर यात्रा करने वाले व्यक्तियों के घातक दुर्घटनाओं का खतरा अधिक होता है। ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, सड़क हादसों में मरने वाले लोगों में से 76 फीसदी दोपहिया वाहनों पर यात्रा कर रहे थे या पैदल चल रहे थे।
इस साल अक्टूबर तक सड़क हादसों में कुल 327 लोगों की मौत हुई। इस हादसे में 111 राहगीरों की मौत हो गई, जबकि 158 गंभीर रूप से घायल हो गए।
दोपहिया वाहनों पर सफर करने वालों की संख्या तो और भी ज्यादा है। दोपहिया वाहनों पर आने-जाने वाले 127 लोगों ने चोटों के कारण दम तोड़ दिया, जो सड़क दुर्घटना से संबंधित सभी मौतों का 42 प्रतिशत है। ऐसे हादसों में कुल 300 लोग घायल हुए हैं। सड़क हादसों में कुल 11 साइकिल सवारों की भी जान चली गई जबकि 22 घायल हो गए। इस तरह के हादसों में कारों में सवार 33 लोगों की भी जान चली गई, जबकि 66 अन्य घायल हो गए।
पिछले साल की तुलना में इस साल सड़क हादसों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। इस साल अक्टूबर तक जिले में कुल 812 सड़क दुर्घटनाएं हुई जिनमें से 311 घातक थीं। 2021 में, इसी समय अवधि में शहर में 802 दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें 336 लोगों की जान चली गई। इस साल अलग-अलग हादसों में 691 लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए।
अगस्त (43), उसके बाद मार्च (42), सितंबर (37), अक्टूबर और अप्रैल (34 प्रत्येक), जून और जुलाई (31 प्रत्येक), मई (28) में सड़क दुर्घटना से संबंधित मौतों की अधिकतम संख्या दर्ज की गई। फरवरी (27) और जनवरी (20) के आंकड़े बताते हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली-जयपुर हाईवे, कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे, सदर्न पेरिफेरल रोड (एसपीआर) और गोल्फ कोर्स रोड में दुर्घटना का खतरा सबसे ज्यादा है।
एक स्थानीय निवासी ने कहा कि ये आंकड़े चिंता का कारण हैं। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन और यातायात पुलिस को दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए एहतियाती कदम उठाने चाहिए।
डीसीपी (यातायात) वीरेंद्र सिंह सांगवान ने कहा कि पुलिस सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रयास कर रही है।